मेरे आने का प्रयोजन, लाहौल विला कूवत
मन चित सम प्रयोजन, लाहौल विला कूवत
ये हम नही कहते है सब लोग कह रहे है...
संग उसके भ्रमण भोजन, लाहौल विला कूवत...✍️
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कॉलेज का ये अंतिम साल हाय अल्ला,
वो आई मच गया बबाल हाय अल्ला,
आंख में काजल, धागा काला, गालों पर तिल,
तौबा उसके बिखरे बाल, हाय अल्ला..❣️✍️-
परिधान पुनीत रण जागरण का प्रतीक यह, धन्य है जीवन इसकी निगहबानी में..
कश्मीर से लेकर व्याप्त कन्याकुमारी तक, है भगवा रंग यह दुर्गा भवानी में...
इसकी शौर्य और शान की गाथाएं, दिखती राणा प्रताप और झांसी वाली रानी में,
फिर भी ये भगवा रंग लगे बेशरम जिसे, डूब कर मर जाए चुल्लू भर पानी में...✍️❣️-
मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम सा बच्चा,
बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है ..❣️
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सांझ सकारे तेरे नयन कजरारे सजन, नित्य सैर करती दिख जाती थी तुम नाव में..
तेरे गालों का काला तिल चोरी करता मेरा दिल, काले धागे भी बड़ी कमाल थे पांव में...
इश्क की डगमगाती नैया का सहारा थी तुम, कस्तूरी या कल्पवृक्ष समझ बैठता था छांव में..
तुम तो पढ़ने को गई परदेश मुझे, आज भी आवारा लोग कहते है गांव में.....!-
प्रेमाग्नि प्रबल हुई हुआ न मुखर मौन, बंधन थे पांव में उदास हो गया..
उसी को मैं देखता था उसी पे मैं लिखता था, उस को सुनाया तो उपहास हो गया..
उसके गेसुओ के खुलते ही यह मनहूस मौसम, पाया अवसर मधुमास हो गया..
यारो मेरे यारों मुझे मारो या उबारो, मैं तो पारो की गली में जाके देवदास हो गया...✍️-
तेरी आंखों में आंसू मुझे, अच्छा नही लगता
कोई अवरोध तेरे पथ का मुझे, अच्छा नही लगता
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हु मै..
कि तेरे बिन रहूं जिंदा नही, अच्छा नही लगता..!-
मोहब्बत में मुझे उसके विजय, अच्छा नही लगता
हौसला पार पाने का मगर, सच्चा नही लगता
बेताबियां दिल की मेरी अक्सर ये कहती है मुझसे,
तसल्ली देख कर तस्वीर नहीं, अच्छा नही लगता...!-
नसीहतें उनसे मिली, मुझे यूं ना देखा करो..
उन्हे कौन समझाए कि चकोर केवल चांद को ही देखता है...!-
नजरें किताब पर है और सोचता उसको रहता हूं..
जिंदगी मेरी भी कहीं लूडो कैरम तो नहीं...?✍️-