छुप छुपा कर मिलना, निगाहों की बाते थी
जाने कैसे फिर ज़माने को खबर लग जाती थी....-
ये ना समझो की तेरे नजर से बहोत दूर हु..।
अपने नाम से पता पूछना तेरे नाम से ही मशहूर हु.।-
टूट जाते है कुछ ख्वाब सुनहरे
सुबह नींद से उठ जाने पर ।
सो जाता हूं फिर से एक बार,
की तेरा ख्वाब फिर देख सकू ।
तुझे महसूस कर सकू ,तुम्हे देख सकू
तुम्हे छू सकू तुम्हे पा सकू ।
यूं तो दूरियां जायज ही रही दरम्यान
ऐ ख्वाब फिर आ की उसके पास जा सकू
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मुझे जीने का सलीका मालूम नही ।
बस वैसे ही रहता हूं जैसा खुदा रखता है-
सहता हु चुप रहता हूं
ना किसी से कुछ कहता हूं
दर्द भर कर सीने में ,
झूठी खुशी दिखलाता हूं
तब जाकर पुरुष कहलाता हु
संगिनी के साथ का ,
बच्चों के आस का
माँ बाप के विश्वास का
हर बोझ मैं उठालता हु
तब कहीं मै पुरूष कहलाता हु
दुख ह है दर्द है
पर निभाता हु जो फर्ज होता है
दुनिया दारी की कश्मकश
जमाने की मार
चुप चाप ही सह जाता हूं।
तब कही पुरुष मैं कहलाता हु
खुद के लिए छोड़
सबके लिए जीता हु
चाहतों को तोड़
पीस घुट कर पिता हु ।
जो हाल पूछे कोई
सब ठीक ही बतलाता हु
तब कहीं जाकर पुरुष मैं कहलाता-
दो रिश्तों के दरम्यान दिखाता प्यार है।
मेरे यार बड़ा खूबसूरत ये त्योहार है ।
मेरे यार के दीदार की तलब तो देखो
चाँद को एक चाँद का शिद्दत से इंतजार है ।
सभी माताओं बहनों को करवा चौथ की हार्दिक सुभकामनाये-
बारिश, लॉंग ड्राइव ,और चाय तुम पर जचता होगा साहेब ।
मेरे घर की छत आज भी टपकती है बरसात में ।-
किसी को टूट कर चाहना फिर चाहत में टूट जाना
दर्द देता है उसके हाथों का मेरे हाथों से छूट जाना-
शायरी में कह दी बात जो दिल से आह निकला ।
शौक से सुना उसने और जुबां से वाह निकला
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बुराइयां मुझमे थी, बेशुमार
वो शख्स मेरे गलतियों को जुदा कर गया
शराफत ना थी मुझमे कभी कही
किसी का प्यार मुझको खुदा कर गया-