वो श्याम वर्ण कमलनयन वो चंद्रवंशी यशोदानंदन वो गायों का गोपाल असुरों का भय वो नंदलाल वो कमल नयन वो गीता का सार गोपियों का प्यार महाभारत का रचियेता वो सबका भाग्य विधाता द्रोपदी की लाज वो रुक्मणि के सर का ताज वो वो चक्रधर वो बंशीधर अर्जुन का जो सारथी कर्ण जिसकी महिमा गावे ऐसा है वो महारथी कभी रणछोड़ कभी गायों का ग्वाल वो गिरधर गोपाल सबका मालिक सबका नाथ वो
साल बदलते रहते है जो हाल बेहद पसंद हो वो हाल बदलते रहते हैं जो कभी थे खास हमारे वो खास बदलते रहते हैं सांप ठहरे जात से मौका मिलते ही खाल बदलते रहते हैं पेड़ टीका रहा अपनी जगह पे धूप को देखा तो छांव बदलते रहते हैं