थोड़ा गुस्सा ज्यादा प्यार
थोड़ी डांट थोड़ा दुलार
बाहर से बड़े सख्त अंदर से उतने नरम
परिवार का ध्यान रखना ही समझते खुद का धर्म
और क्या लिखूं मुझे भी कुछ नहीं आता
बस ऐसे ही तो होते हैं पापा
दिन रात जागकर मेहनत करना
परिवार की खुशी के लिए सब सह जाना
खुद की खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं
शायद हमने ही उनके मन की कभी जाना नहीं
और क्या लिखूं मुझे भी कुछ नहीं आता
बस ऐसे ही तो होते हैं पापा
एक चीज़ मांगो तो दो लाते हैं
बहुत कुछ करके भी कहा कुछ जताते हैं
ख़ुद के लिए एक ड्रेस बनवाने में 5 साल लगाते है
और हमारे लिए हर त्यौहार कपड़े ले आते हैं
और क्या लिखूं मुझे भी कुछ नहीं आता
बस ऐसे ही तो होते हैं पापा
लिखने जाऊ तो शब्द बहुत कम पड़ जाते है
पापा के बारे में कहा कुछ लिख पाते हैं
और क्या लिखूं मुझे भी कुछ नहीं आता
बस ऐसे ही तो होते हैं पापा
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