Kuldeep Sharma   (Kuldeep Sharma)
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राम भक्त 🚩🚩
Joined 21 January 2024


राम भक्त 🚩🚩
Joined 21 January 2024
20 APR AT 10:09

थोड़ा गुस्सा ज्यादा प्यार
थोड़ी डांट थोड़ा दुलार
बाहर से बड़े सख्त अंदर से उतने नरम
परिवार का ध्यान रखना ही समझते खुद का धर्म
और क्या लिखूं मुझे भी कुछ नहीं आता
बस ऐसे ही तो होते हैं पापा

दिन रात जागकर मेहनत करना
परिवार की खुशी के लिए सब सह जाना
खुद की खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं
शायद हमने ही उनके मन की कभी जाना नहीं
और क्या लिखूं मुझे भी कुछ नहीं आता
बस ऐसे ही तो होते हैं पापा

एक चीज़ मांगो तो दो लाते हैं
बहुत कुछ करके भी कहा कुछ जताते हैं
ख़ुद के लिए एक ड्रेस बनवाने में 5 साल लगाते है
और हमारे लिए हर त्यौहार कपड़े ले आते हैं 
और क्या लिखूं मुझे भी कुछ नहीं आता
बस ऐसे ही तो होते हैं पापा

लिखने जाऊ तो शब्द बहुत कम पड़ जाते है
पापा के बारे में कहा कुछ लिख पाते हैं
और क्या लिखूं मुझे भी कुछ नहीं आता
बस ऐसे ही तो होते हैं पापा

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7 MAR AT 22:50

दुनिया का दस्तूर कुछ अलग है

मतलब के रिश्ते पता नहीं कौन अपने

और कौन अपनो से अलग है

यहां सब कुछ करने पर सुनना पड़ता है

जिसको समझो अपना वो ही झगड़ता है

पता नहीं रिश्तों में कब दरार आए

कुछ कहने से नहीं घबराए और कुछ चुपचाप सुनते जाए

उम्र का लिहाज़ बड़ो का आदर और संस्कार रोकता हैं 

वरना जवाब देना तो सबको बखूबी आता है 

सुना था वक्त और जरूरत हर किसी की क़ीमत समझाता है

वो अपना ही क्या जो अपनो के काम नहीं आता है

आप पीछे मुड़कर देखे तो शायद समझ भी आ जाए

कि जिस पर इल्ज़ाम पर इल्ज़ाम लगाए वो आपके हर वक्त कितने काम आए

बिना वजह सुनना पड़े तो बुरा तो लगता है

कुछ सामने बोलते है कुछ को इज्ज़त के चक्कर में

ये जहर का घूंट भी पीना पड़ता है

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4 FEB AT 18:00

ज़िन्दगी के इशारे समझ
ना बन यूं नासमझ

मंजिल का रास्ता दिखाती हैं
एक बंद हो तो नया भी ख़ोज लाती हैं
हमें मज़बूत बनाना चाहती हैं
तभी तो कभी खुशियां कभी गम भी लाती हैं
हर बार नई सिख सिखाती हैं
बार बार नया मोड़ लाती हैं
तू अब तो ला थोड़ी सी समझ और
ज़िन्दगी के इशारे समझ
ना बन यूं नासमझ


कोई जाता हैं जाने दे
नए अवसर को ज़िन्दगी में आने दे
मत भाग पीछे उनके जो चले गए
जीते वहीं हैं जो वक्त रहते संभल गए
क्यूं ख़ुद को आगे बढ़ने से रोका हैं
संभल जा एक और मौका हैं
तू अब तो ला थोड़ी सी समझ और
ज़िन्दगी के इशारे समझ
ना बन यूं नासमझ

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29 JAN AT 11:52

फूलों जैसा जीवन हैं
खुशियों से महकाना हैं

यहां कब कौन आता हैं
बिन बताए चला जाता हैं
तुम स्वयं के साथी हो
अपनी राह पर चलते जाना हैं
फूलों जैसा जीवन हैं
खुशियों से महकाना हैं

चंचल सा मन हैं
स्थिरता की ओर ले जाना हैं
ना किसी से उम्मीद ना कोई फरमान है
यहां ख़ुद को ख़ुद ही अपनाना हैं
फूलों जैसा जीवन हैं
खुशियों से महकाना हैं

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28 JAN AT 11:15

मन को कुछ आराम दो
इतना क्यू परेशान हो
इतना रुके हो कुछ दिन और सही
वक्त को थोड़ा सम्मान दो
अभी बुरा है आगे अच्छा भी आएगा
दुःखो का काला साया भी छंट जाएगा
एक दिन सफलता का सूरज भी आएगा
खुशियों का फूल भी खिल जाएगा
एक बहन का प्यारा भाई
मां का बहादुर बेटा हो तुम
छोटे भाई की हिम्मत
पिता का इकलौता सहारा हो तुम
तुम इस तरह थोड़ी हार जाओगे
मां बाप के आशीर्वाद से हर मुश्किल से लड़ जाओगे
इतना रुके हो कुछ दिन और सही
वक्त को थोड़ा सम्मान दो
और मन को थोड़ा आराम दो
बस मन को थोड़ा आराम दो...


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26 JAN AT 11:32

हमारा गणतंत्र हमारा संविधान
यही हमारी आन बान शान
इसी ने बढ़ाया हमारा मान
इसके बनने पर आई एक नई जान
आज़ादी के बाद भी देश था मुश्किल में
कई साल लगे इसे गणतंत्र बनने में
संविधान में हर कोई एकसमान था
यही हर एक गरीब की जान था
इसी ने हमे स्वाभिमानी बनाया
सभी देशों से आगे बढ़ाया
आज भारत विश्वगुरू कहलाता हैं
कोई नहीं जो हमसे आगे बढ़ पाता हैं
ये सब संभव हुआ जब बना संविधान
इसी ने बढ़ाया हमारा मान
हमारा गणतंत्र हमारा संविधान
यहीं हमारी आन बान शान
यहीं हमारी आन बान शान ..



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24 JAN AT 20:53

पास होकर भी
वो दूर कहीं हैं
जो अपना था
अब पराया भी वहीं है
इतनी गलतियों पर भी लगता
तू सही है
क्या करू तू बदला है
मेरा प्यार वही है
पास होकर भी
दूर कहीं हैं
जितना भूलना चाहूं
उतना याद आता है
चाहकर भी दिल से नहीं जाता हैं
मेरा सुख चैन अब गुम कहीं है
पास होकर भी
तू दूर कहीं हैं

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22 JAN AT 15:26

अन्तस् में जब राम बिराजे
पूर्ण होंगे काज हमारे
दीप जलाएं खुशियां मनाएं
घर घर हम भगवा लहराए
मां कोशल्या भी राह तकाए
कब लौटकर घर को आए
प्रभु बिराजे आज हमारे
सब कुछ है आपके सहारे
अन्तस् में जब राम बिराजे
पूर्ण होंगे काज हमारे
पूर्ण होंगे काज हमारे

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21 JAN AT 22:49

500 सालो से था इंतजार
लिए बैठे है फूल हार
हमारा हुआ हैं खुशियों से करार
भूल गए है जिन्दगी की प्रत्येक हार
अब तोतैयार है हर लड़ाई जीत जाने को
क्यूंकि मेरे प्रभु है आने को
मन करता है पूरा गांव मौहल्ला सजा दू
मेरे प्रभु श्री राम को मना लू
यूं तो हर कोई चाहता है उन्हें मनाना
मेरी भी प्रार्थना है मेरे घर भी जरूर आना
माता सीता और लक्ष्मण जी को भी साथ लाना
और मेरे आराध्य को भी बुलाना
बजरंग बली आप भी इस शुभ घड़ी चले आना
आपका साथ हो तो क्यू घबराना
आप ही अंगुली पकड़कर आगे बढ़ाना
अब और रहा नहीं जाता
एक रात भी रुका नहीं जाता
मेरा हाल हो रहा बेहाल
अब मन में कोई नहीं हैं मलाल
तैयार है हर दुःख भुलाने को
क्यूंकि मेरे प्रभु है आने को
मेरे प्रभु है आने को.....

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