किताबो से दोस्ती नही होती
रहता हर वक़्त किताबो के पास हूँ
चाहत है खुद को बदलने की
मगर खुद को ऐसी वजह नही मिलती
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पर महादेव का सच्चा हु ये जरूर जानता ह
खाली बेठो हो तो ,एक काम कर दो ना
कभी इन किताबों से भी दोस्ती कर लो ना ।
हर पल रहते हो इंटरनेट की रंगीन दुनिया मे,
कभी इन बेरंगी किताबो को भी पढ़ लो ना ।।
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बरसो बाद, रातो को अब किताबो से दोस्ती की थी
कमबख्त तुम्हारी याद आते ही वो भी टूट गई
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इन सब रिश्तों से दूर जाना चाहता हूं
मैं अपने प्यार को भूल जाना चाहता हूँ ।
यकी है मुझे, कोई किसी का नही इस जहाँ में
अब मैं सब के लिए मर जाना चाहता हूँ ।।
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जादू वगैरा कुछ नही होता
दिल को मारना पड़ता है
ये किताबे है
इनको पड़ने के लिए
इनमे डूबना पड़ता है-
परेशा हो गए हैं इस दिल से
अब ये सुकून से मरने भी नही देता
किसी दिन इस दिल को जुदा कर देंगे जिस्म से
ये हर रोज नए जिस्म पे फिदा हो जाता है-
मैं तुझको पन्नो पे उतार दू
मगर वो पन्ना बेसुमार हो जाएगा
मैं नही चाहता एक ओर सख्स तुम्हारा दीवाना हो
पागल है वो, नही जनाता वो बर्बाद हो जाएगा
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हम इस जहा में एक शख्स ढूंढ रहे हैं
इन जिस्मों के शहर में प्यार ढूंढ रहे हैं
और मसला ये है कि
मुझमें भी बहुत सी बुराइया हैं
पर हम उन बुराइयों में वो शख्स ढूंढ रहे हैं-