Kuldeep Kaur  
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Joined 5 October 2018


Joined 5 October 2018
3 APR 2020 AT 12:02

सकारात्मकता यदि संभव नहीं तो
नकारात्मकता से ना खुद को घेर
निष्पक्षता के तटस्थ सफ़र पर
जा आइये "दीप" टहल कुछ देर।।

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5 JUN 2019 AT 16:18

मैं तुम्हें एक किस्सा सुनाऊंँ..किस्सा है ये खास,
ज़मीन और वृक्ष में हो रही थी वार्तालाप;
उनके दरमियान का कथन रख रही हूंँ समक्ष
करना ज़रूर विचार... सुनकर मेरी बात।

{पूरी रचना सी अनुशीर्षक में}

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14 APR 2019 AT 9:07

पंथ खालसा का कर सृजन,
किया गुरु ने बड़ा उपकार;
भारतवर्ष करे नमन,
किया हम सब का उद्धार।
"खालसा मेरो रूप है खास"
जन्मदिन यह पावन दिन,
सिखों के दिल में है उल्लास!
सम्पूर्ण जगत गुरु गोबिंद जी के,
किए उपकारों का करे गुणगान।
आओ मिलकर खुशियांँ मनाएंँ;
बैसाखी का "दीप" पर्व मनाएंँ।

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23 JUN 2020 AT 18:31

सपने टूटते है
तुम जानते तो हो अपने बिछड़ते हैं

इतनी उदासी किस लिए दोस्त
तुम जानते तो हो
यही जीवन का नियम है।

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23 JUN 2020 AT 18:26

Be within Me
Just like my Lord
For my Friends
For my own People

Be within Me
Till the End of my
Last Breath.♥️😇

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20 JUN 2020 AT 19:17

for what you or I am ...

I Love You
for...
What We are
When we are
Together♥️♥️

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14 JUN 2020 AT 22:17

खुलने दो अब तो
अरमानों को खिलने दो अब तो
आशाओं के पुष्पों को खिलकर
मन अंतर में घुलने दो अब तो।
"दीप"

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3 MAY 2020 AT 21:23

तू इबादत तू ही सजदा,
तू ही पालनहार;
तेरी दुआओं की छाँव में,
जीवन बना उपहार।
"दीप"




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25 MAR 2020 AT 0:46

This is for you my sister 😘



धूप जैसी खिलती है छाँव जैसे वो मिलती है,
तुम्हें पाकर मेरी दुनिया फूलों जैसी खिलती है
गमों की बदलियों को भी हँसती बरसात कर जाए
गले लगती है जब मेरे वो हर एक गम को सिलती है।

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21 MAR 2020 AT 9:04

Day I lost my love,
I lost my world;
Thought of writing my emotions,
But Lost all words.

Jumbling words,
Inside my head;
But when invited to paper,
All were dead.

With no words,
Screamed my paper and ink;
I was unable to write,
And it bacame...
My #lost_poem link.

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