बड़ी ग़ज़ब फ़ितरत है ज़माने की
अपने पन का एहसास करवाने के लिए
पहले बेइज़्जत किया जाता है
फिर गले लगाया जाता है..
माना कि वक़्त अभी उलझा हुआ है
शह और मात के भवँर में फँसा हुआ है
बेशक बहुत क़ाबिल हो तुम
पर नाक़ाबिल तो मैं भी नहीं
कुछ कह सकूँ अभी ऐसे मेरे हालात नहीं
पर इतना याद रखना मैं समुंदर हूँ
ख़ामोश हूँ और तूफाँ अभी बाकी है-
जब भी ज़िन्दगी शिकस्त देने की कोशिश करने लगे तो खुद से कहना कि -
ज़िन्दगी तेरी हर चाल से वाकिफ़ हूँ
शह और मात के खेल का पुराना खिलाड़ी हूँ ..
मेरी हिम्मत के आगे टूट जाएंगे तेरे हौसले
क्योंकि मैं मेरे ज़िद्दी हौसलों से वाकिफ़ हूँ..-
तेरी हर चाहत का ज़िक्र हर अल्फ़ाज़ के साथ होगा
महफ़िल में ये दीवाना भी होगा और
दीवानगी की इंतिहा का ज़िक्र भी होगा..
मगर अफ़सोस की जिसकी वजह से महफ़िल सजेगी उस महफ़िल ना वो होगी
और ना उसकी तस्वीर का ज़िक्र होगा-
एक अदद लम्हा बिता है वक़्त से लड़ते हुए
बहुत कुछ सीखना बाकी है अभी अपनों से
अभी और तपना बाकी है कुंदन बनने के लिए
इसीलिए जंग जारी है ख़ामोशी से अभी वक़्त से
पर इतना यकीन ज़रूर है कि एक दिन जीत जाऊँगा लड़ते हुए-
जो रिश्ते दिल और आत्मा से जुड़े हुए है उनकी ताज़गी और मिठास को बरक़रार रखने के लिए अगर आपका साथी आपको कोई अच्छी बात कहता है या समझाता है तो उसे आत्मसात करने की पूर्ण कोशिश कीजिये। स्टोरी टेलर या स्टोरी मेकर बनने की कोशिश मत करे। याद रखिये रिश्ता महत्वपूर्ण है और आप भी इसीलिए कोई बार बार चेता रहा है आपको ।
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हर एहसास हर जज़्बात बड़ा बेमानी सा लगा..
जब उससे कहा कि तुम्हें कोई फ़र्क तो पड़ा नहीं
होगा, तब उसने कहा "नहीं"
फिर मैंने कहा कि सही कहा
तो उसने पलटकर कहा
कि "तो क्या करूँ" ?
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अगर आप तसल्ली से बात नहीं सुन सकते है तो आप किसी के दिल का हाल भी नहीं जान सकते है
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शुक्रिया उन अनुभवों का
जो कुछ नया सीखा जाते हैं
बदलते वक्त के साथ
कुछ चेहरों की फ़ितरत बता जाते हैं-
सीधी बात नो बकवास
बस ख़ामोशी है मेरे पास
अब तुम ही बताओ कैसे हो ज़िन्दगी पर ईख़्तियार
गर हो ख़्वाहिश पैमाने नापने की तो कर यलगार-