नाकामयाबी मात्र एक दौर है,
हारने के बाद जीत का अलग ही जज्बा है,
आसमान की तरफ जरा आंख उठा कर देखो,
चांद पर अब तिरंगे का कब्जा है।
-Vermaji ka ladka-
ये मोहब्बत की गलियों में मत लेकर जाओ मुझे,
मातम के शहर में त्यौहार मनाने की कोशिश मत करो,
उजड़ गई है गालियां अब मेरे शहर की,
इस वीराने के मलबे से महल बनाने की कोशिश मत करो।
Vermaji ka ladka
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मैं 2 मिनट में हर एक शायरी लिखने वाला,
कोई मुझसे मेरी तन्हाई की किताब ना ले,
आंसू लाना छोड़ दिया है मैने अपनी आखों में,
बस खुदा उससे मेरे दर्द का हिसाब ना ले।
-Vermaji ka ladka-
वो हसीना काली जुल्फों वाली,
उसने मौसम की तरह अपने गले के हार बदले है,
बड़ा धोखा खाया है मेरी चाहत ने,
क्योंकि semester के subjects की तरह उसने अपने यार बदले है।
-Vermaji ka ladka-
इतना भी दबाव नही है मेरे दिमाग में,
कि मां की फोटो सोशल मीडिया पर लगाए बिना रह ना पाऊं,
ये स्टोरी वगैरा की ज़रूरत नही है मेरी मां को क्योंकि
इतनी भी दूरियां नही है मेरी मां से,
कि गले लगा कर "आपसे प्यार करता हूं" कह ना पाऊं।
Vermaji ka ladka-
ये मोहब्बत का खेल धूर्त है,
मैं दोबारा खेल नही पाऊंगा,
बड़ी मुश्किल से दर्द थोड़ा कम हुआ है शायरी में,
फिर से अपने अंदर एक और शायर झेल नही पाऊंगा।
Vermaji ka ladka-
वफा की नींद से उठना नही है मुझे,
मैं तारो से रात जगा देता,
अगर शायरी की तपिश से महबूब लौट कर आते साहिब,
तो मैं अपनी कलम से हर एक कागज में आग लगा देता।
Vermaji ka ladka-
मैने अपनी बर्बादी कुछ इस तरह लिखी है,
कि बैठे बैठे दिन से रात की है,
जब भी बैठा हूं मैं अंधेरे में,
मैने सिर्फ तेरी ही बात की है।
Vermaji ka ladka-
ना जाने फिर मुलाकात होगी भी या नही,
ना जाने फिर ये हसीन रात होगी भी या नहीं,
चलो फिर अनजान बन जाते है एक बार,
ना जाने फिर मोहब्बत की बात होगी भी या नही।
Vermaji ka ladka-
इश्क महंगा था,
मैं फकीर सा कहां खरीद पाता,
खाली हाथ लिए उसके दरवाजे कैसे जाता,
रकीब ने खरीद लिया उन्हे,
वो बिकता चला गया,
नादान है ये वर्मा जी का लड़का,
दोबारा इश्क की जगह सिर्फ लिखता चला गया।
Vermaji ka ladka
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