ये मोहब्बत की गलियों में मत लेकर जाओ मुझे, मातम के शहर में त्यौहार मनाने की कोशिश मत करो, उजड़ गई है गालियां अब मेरे शहर की, इस वीराने के मलबे से महल बनाने की कोशिश मत करो।
मैं 2 मिनट में हर एक शायरी लिखने वाला, कोई मुझसे मेरी तन्हाई की किताब ना ले, आंसू लाना छोड़ दिया है मैने अपनी आखों में, बस खुदा उससे मेरे दर्द का हिसाब ना ले।
वो हसीना काली जुल्फों वाली, उसने मौसम की तरह अपने गले के हार बदले है, बड़ा धोखा खाया है मेरी चाहत ने, क्योंकि semester के subjects की तरह उसने अपने यार बदले है।
इतना भी दबाव नही है मेरे दिमाग में, कि मां की फोटो सोशल मीडिया पर लगाए बिना रह ना पाऊं, ये स्टोरी वगैरा की ज़रूरत नही है मेरी मां को क्योंकि इतनी भी दूरियां नही है मेरी मां से, कि गले लगा कर "आपसे प्यार करता हूं" कह ना पाऊं।
ना जाने फिर मुलाकात होगी भी या नही, ना जाने फिर ये हसीन रात होगी भी या नहीं, चलो फिर अनजान बन जाते है एक बार, ना जाने फिर मोहब्बत की बात होगी भी या नही।
इश्क महंगा था, मैं फकीर सा कहां खरीद पाता, खाली हाथ लिए उसके दरवाजे कैसे जाता, रकीब ने खरीद लिया उन्हे, वो बिकता चला गया, नादान है ये वर्मा जी का लड़का, दोबारा इश्क की जगह सिर्फ लिखता चला गया।