आँखें सूखी है
लेकिन दिल आंसुओं से भरा क्यूं है
आज भी
उससे बिछड़ने का ग़म हरा क्यूं है
दूसरों के सामने तो मैं जिंदा हूं
लेकिन अकेले में मेरा मन मरा क्यूं है।।-
शुक्रिया नजर का
इस पहर ने आपको मेरे तक पहुंचाया है
शुक्रिया इस... read more
गुनाहगार हूं मैं तुम्हारे हर जख्म का
तुमने खुद से दूर कर के जीवन भर की सजा दे दी है ।-
इतने वक्त बाद लिखना
जैसे उन गलियों में फिर से गुजरना
जहां मिलते थे उनसे
लिखते थे उनको
यादें नहीं ताजा कर रहा हूं
मैं बस जिनको भूलना चाहता था
अब उनको ही जी रहा हूं ।-
रुकते नही अब कदम सुकून के लिये
जिंदगी में भागम-भाग कुछ यूं घुल गयी
वो साथ होती तो शायद दर्द कम होते
पर किश्मत ऐसी थी कि वो ख्वाबों से भी धुल गयी ।।-
शहरों का शोर
गांवों का सन्नाटा
किसी पर किताबों का बोझ
तो कोई कच्ची उम्र में ही कमाता
कहीं महंगी वस्तुओं का शौक
तो कोई मंहगाई का शोक मनाता
कोई हर पल आगे को अग्रसर
तो किसी को बीता कल रुलाता
कहीं बिखरी झूठ की वाहवाही
तो किसी का सच भी कुचला जाता
बस इन दो हिस्सों में है समाज
इनसे जो बच सका वही जिंदा रह पाता।।
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एक ही मंदिर में दोनों के दर्शन हो गये
एक खुदा के दूसरा महबूबा के
मैं तो दर्द लेकर पहुंचा था वहां पर
सुकून भी मिला और आंशु भी विदा हो गये
जब वक्त था तो कभी दिखा नही मुझे वो
जब मैं मौत के करीब हूं तो वो जिंदा हो गये
इश्क़ में इस कदर हारा कि जिंदगी ही हार गया
मेरी आशिकी देख भगवान भी मुझ पर फिदा हो गये ।।
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कितना हसीन गम है इश्क़ का
कि
हम किसी से रो भी ना सकें
और किसी के हो भी ना सकें ।।-
मैं किसको किसको समझूँगा
और आखिर क्यों समझूँगा
साफ बात अब नही समझूँगा
क्योंकि पहले खुद को समझूँगा।।-
मेरा दिल कहने लगा है
अब इसको सांसों की जरूरत नही
और नींदों की भी अपनी अलग शिकायत है
इनको अब किसी के ख्वाबों की जरूरत नही
ऐसा इसलिए नही की टूटा हुआ हूं मैं
हां इसलिए कि मुझे किसी की यादों की जरूरत नही।।
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जब भगवान राम को भी मिल ना पाया सुकून जिंदगी में
तो हम खुशियों की चाहत का क्या करें
जब कृष्ण की राधा का भी हो ना सका मिलन जिंदगी भर
तो हम मुलाकातों की राहत का क्या करें
ना जानें कितने प्रेम विवाह कचहरी में दम तोड़ रहें आजकल
तो हम कलयुगी मोहब्बत का क्या करें।।-