कश्ती और कलम   (Abhishek)
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Joined 1 April 2021


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खाली चिठ्ठी भेजी थी उसने,..
बताना था उसे कि खामोश है वो।..
नखरे चांदनी से थे उसके,।..
दिखाना था उसे कि खफा हैं वो।..
छोड कर चली गई इस कदर,..
कि लौट आने की उम्मीद भी ना रहीं।..
फिर से हंसने लगे हैं ये मालूम क्या हो गया,..
वो वापस आकर, प्यार जताकर चलीं गई।..

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#QN_42



काफी परेशान थीं वो मेरे बेइन्तहा मोहब्बत से,..
अब यहां मेरे वफा के किस्से दुनिया भर में मशहूर हैं।..
मेरे नाम से वो इतनी बदनाम थी कि,..
अब उसके शौहर को मेरे नाम से जानते हैं।..

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#QN_41



जिस्म से ज्यादा मेरे दिल पे निशां हैं जख्मो के तेरे,...
जला हुआ दिल ही देखा था तूने,
महसूस किये बिना फेंक दिया,...
नहीं तो आज तु भी दिवानी होती बाकी दीवानों में मेरे।...

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दिल में जगह अब भी रखते है सलामत उसके लिए,..
बस बेवजह इंतजार में किराया बढता जा रहा है।..
जिंदगी बीत जायेगी किश्तें लौटाते लौटाते,..
फिर भी मोहब्बत का जुनून बेइन्तहा बढाता जा रहा है।..

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#QN_39



वक्त का इंतजार कर रहें थे,..
इंतजार में वक्त निकल जायेगा सोचा ना था।..
शाम हो गई वो आई हीं नहीं,..
शाम भी ढल जायेगी सोचा ना था।..

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#QN_38



पहले हम शरीफ थे तब काफी सह लिये,..
अब हम बदतमीज़ है, बाकि तुम समझदार हो।..

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#QN_37


वो याद ना आती तो भूल जाता उसे,..
वो दिल में ना समाती तो ना बिठाता उसे,..
कोशिश हैं जारी उसे भूलने की,..
मगर यह कम्बख्त दिल भी ना;..
भूलते वक्त भी उसको याद करता हैं।..

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अच्छा ही तो था मैैं, तब किसी ने अच्छा नहीं कहा,
खुली किताब तो था मैं, तब किसी ने सच्चा नहीं कहा।
क्यों? खुली किताब देख के पन्ने फाड़ दिए ना मेरे,
पन्नो से ही तो आया होगा स्वाद फीके पकोड़ो में तेरे।
कम्बखत पकोड़ेवाले ने जो अच्छाई के पन्ने फाड़े है ना,
बुराई के पन्ने अभी बाकी हैं, अब जरा संभल के रहना।

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