मैं उगते सूरज सा,
तू लालिमा बन मेरी ।।
मै करूंगा उजाला,
उजियारी तू बन मेरी ।।
फैलाऊंगा प्रेम की रोशनी जगत भर में मै,
तू बन अंतरज्योति मेरी ।।
अकेला जीवन गुजारता हूं, दूसरों का जीवन संवारता हूं
सवार दे ज़िन्दगी तू मेरी, मै हूं सूरज तू "रोशनी" बन मेरी ।।-
Kshitij Mishra
(क्षितिज मिश्रा गुरु)
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अजातशत्रु द्वितीय !!
Joined 17 January 2025
27 MAY AT 10:34
26 MAY AT 11:34
चाय कुछ खास पसंद हैं नहीं मुझे
ये तो है बहाना भर, देखने को तुझे ।।
तू संवारे जुल्फे अपनी, मै देखूं नयन तेरे
तू करे बातें अनगिनत, मै निहारूं अधर तेरे ।।
तू जो मुस्कुराए तो, मरा सा जाऊं मैं
उड़े जो जुल्फे तेरी, तो उड़ा सा जाऊं मैं ।।
दिल में बातें दबाए मै भी चुप बैठा हूं,
जी करता है बस तू ही कहती जाए, और बस सुनता जाऊं मैं ।।
और फिर इतने में चाय खत्म हो जाती है,
इसीलिए, चाय कुछ खास पसंद है नहीं मुझे ।।
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2 FEB AT 8:36
मुकम्मल न हुए ख्वाब हमारे,
मुनाफ़िक हुए हमराज हमारे ।।
वो हमसे पूछते थे, किसका ग़म झलकता है गुरु तेरी आंखों में,
जिसने खंजर चुभोए दिल में हमारे ।।-
17 JAN AT 12:32
अब के बिछड़े तो फिर,
ज़माने भर में तलाशते रह जाओगे ।।
पा तो जाओगे अक्स मेरा हर शख्स में,
लेकिन वापस मुझे फिर न पा पाओगे ।।
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