परिधी जो तुम पर ना कर पाए ... जो तुम समय के परिधी पर खड़े होने के बाद भी कह ना सके और ना हीं बोल पाए अपने उस असीम उष्म भावना को जो क्षितिज को भी पर कर सकने में सक्षम हैं ♥️
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Jb dil tut jata h to Bss likhna hi bhata h, HR tute dil ... read more
कितनी राते वीरान की हैं
कितने हीं रात मेरे
ज्योत्स्ना को निहारते पहरों में सिमट गयीं.
ना सिमट सका तो तुम्हे कल्पित करना
जैसे नील अम्बर को निढाल होकर
चकोर का एक टक निहारना ❤-
ग़रीब होना सबसे बड़ा अभिशाप है ,
आप ग़रीब हैं तो यह तय है आप का शोषण होगा ,
लोग आपको उपयोग की भोग की वस्तु समझेंगे ,
और आपके ईर्द -गिर्द ऐसे लोग होंगे जो धन वैभव होने के बाद आपके तलवें चाटते ना कि शोषण ।
ग़रीब होना ठीक वैसा ही है जैसे शरीर में रीढ़ की हड्डी खण्डित हो और सहारा देने के नाम पर लोग आपको पुरी तरह अपाहिज बना दे ,और जब आप देखें स्वयं को तो आप शोषित अपाहिज दुर्दिन से भी बदहाली में हो और मौत के अपेक्षा में हो ।। ग़रीबी भेड़ियों का आहार बनाती है और कुलिन से कुलिन को चांडाल बनाती है ।।-
"मन"
भारी मन
याद के बोझ से दबी,
किसी के खो जाने,
किसी के रूठ जाने ,
किसी के बिछड़ जाने,
किसी के अपने से पराये हो जाने,
नाना किस्म के पीड़ा को
समेटे मन कितना निपुणता से
अदाकारी करता है,
दुःख दर्द को अन्तं में सहेजें
कैसे चलता है ।।-
बिखरना तो कुछ इसतरह से
जैसे अमलतास ,
टुटना तो कुछ यूं जैसे ,
चट्टानों के मध्य से ,
झरने का बहाव,
ये जो गुमशुम अपने गमों को ,
खुद में समेटते हो ,
सच कहो न क्या तुम भी ,
छोड़ जाने से डरते हो।-
ये तन्हाइयां चाहतीं बहुत हैं मुझे,
हर रात चुपके से लिपट जाती है मुझसे।।-
अंधेर रातों में निकलने वालें आंसुओं का खारापन कितना होता होगा ,
जो सारे जख्मों को एक बार में कुरेद देता है ।।
और फुट-फुट कर रोनो के लिए मजबूर भी ,
जो सांसों तक को रूंध देता है।।-
रात चुपके से आती है ,मेरे कमरे में
और आहिस्ता-आहिस्ता पुराने चोट को कुरेदती है।
अंधेर राते आंखों से ढ़रकने वाले आंसुओं को भी
चीखें दे कर बुलाती है और
अतित के किस्सों को दोहराने लग जाती है ।
अपनो से लेकर अपनों के पराये होने तक के सफर को ,
बखूबी याद दिलाती है ।
उम्मीद से ना उम्मीद तक के एलबम को
कितने जतन से एक-एक कर के खोलती है।
जो कभी अपने होते थे वक्त के साथ उनके कितने बदले चेहरे दिखाती है ।-
बनारसी साड़ी बाद में लाना ।।
उससे पहले मेरे लिए लखनऊ का लहँगा बनवा लाना !!-
उन पलो में कुछ तो हमारा भी जा रहा हैं ।
जो कभी मैं तुम से हम हुए थे सपने ,
उनका आशियाना जा रहा हैं ।।-