कुछ यादें बनाते हैं, कुछ तेरी सी कुछ मेरी सी तस्वीर बनाते हैं एक रुठ जाए गर तो एक मना ले, एक रो दे तो दूसरा हंसा दे बस हम हों जहां वो आशियां बनाते हैं, चलो लम्हें चुराते हैं।।
उलझनों से भरी मैं, खुद को टटोल रही हूं, सब तो यहीं हैं, मैं ना जाने क्या ढूंढ रही हू।। पहली बार ये ख्यालों की कमी, शब्दों की कमी से ज्यादा खटक रही है, मैं बदल गई, या मेरी आदत बदल गई है।।