फौलाद है हम, यां हमसे हुई है कोई भूल,
पांव तो चल पड़े, लेकिन बीच भवर में क्यों दिखे है धूल
धुंधला सा सब क्यों लगता है जबकि हमने तो थमने का सोचा ही नहीं
खुद से तो है रुबरु हमारी आस्था कहती है, ये कोई धोखा नहीं
किस ओर जाए, कब तक ये दिखावटी जगत में मुस्कुराएं
क्या सबकुछ निछावर कर गुमनाम हो जाए,
या एक दफा फिर से खुद को आजमाएं,
तू ही बता ये दरिया उस पार जाए, या इसी चौखट पे सपने संजो कर महल बनाए।
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नए मंजर के साथ एक बार फिर हम चल पड़े
मार छड़प्पा ख़्वाबों की ओर एक बार फिर उड़ पड़े
तोड़े भी टूटेगी नहीं जो डोर जुड़ी है हमारी दिलबगी से
खड़ासों से खुद को तराश
वक़्त को पछाड़ने की होड़ में एक बार फिर हम लड़ पड़े ।
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नज़र नज़र का फेर हम दोनों के बीच भी आ सकता था मुझे मालूम ना था
हम तो तुम्हारे खातिर अपने नज़रिया को भी बदलने को तैयार बैठे थे,
लेकिन तुम्हारे ही खुद्दार नजरो ने दिखाया कि जो हमारे लिए कीमती है उसकी ऎहमियत तुम ना कर सकोगे...
जो बातों को दबाए रख सकते है दिलों में उससे क्या उम्मीद लगाना ....
जिसे मेरे ख्वाहिशों की फिकर नहीं उससे क्या दिल लगाना।
हां मासूम थे हम की तुझे पहचाने में देर हुई ..
तेरी गलतियां माफ करते करते हमारे ही जिगर में अंधेर हुई...
बिलखते रहे सच जानने के खातिर पर तू सच छुपाने में लगा था ...
अपने हर झूठ से तू, मुझे आजमाने में लगा था ..
सिर्फ एक बार ही नहीं कई बार ऐसा होता है..
मेरे लिए जो काभी कीमती होता है तेरे लिए फेका होता है ...
कैसे बदलू इस नज़रिए को ...
हमारी मंज़िल के रास्ते तुम्हे मामूली ही लगेंगे..
और हमारी मंज़िल को पाए बिना हम तो अधूरे ही रहेगें ...
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जिसका हाथ पकड़ कर चलने का वादा किया था
आज उसकी सकल देखने से क्यों घबराते हो
ऐसी क्या खता थी उसकी
की उसके नाम जुबान पर लाने से भी कतराते हो-
आसानी से नहीं पूरी होती है आकांक्षाएं,
चिरागों को भी जलने के लिए हवा के बीच तेल से पकड़ बनाई रखनी होती है।-
It is easy to be sad but it is difficult to smile in grief.
It is easy to follow the crowd but it is difficult to make your world alone.
It is easy to feel desperate by losing something but it is difficult to understand that something is good in everything.-
वक़्त वक़्त की बात है
कभी नाम से ही रौशन जीवन के बाग है तो कभी बागो में रौशनी ही नहीं होती
कभी मुक़द्दर से भी ऊँचे ख्वाब होते है तो कभी सपनों के सामने झुके इत्तेफाक होते है ।
नादानियों और गुस्ताखियों की रुख में अंतर होता है ,
खता की माफी तो मिल जाती है किन्तु सीने में दर्द अक्सर उभरता है ।-
बन मोहरा मैं चला तुझे मात दे तुझे हराने ,
ये ज़िन्दगी मत कर इतना गुरुर तेरे बिछाए कांटे इतने भी नुकीले नहीं जो मुझे चुभे और मैं रुक जाऊं ।-
दिए भी जलेंगे , पटाखे भी फूटेंगे ,
घर सज तो जाएगा दीप के प्रज्वलन से,
लेकिन रोड पर बैठे भिखारी को फतकारने वालों अपने दिल से पूछो की इस ठंडी ठिठुरण में क्या तेरे मन में रौशनी होगी ।-
तारे टूटते नहीं आँधी तूफान में,
सल्तनत झुकते नहीं खुदगर्जी के नाम से,
जब जिंदगी ही गुलज़ार है तो चोट पर मलहम बखूबी लग जाएगा,
रहमत उसकी होगी मोहब्बत की छवि बन खुदबखुद निखर जाएगा |-