To dear ...𝕾𝖍𝖆𝖆𝖓...-
नज़रों से मेरी देखो खुद को
तुम सा नायाब नहीं है कोई
दिल में बसे हो सिर्फ़ तुम,
तुम सा जनाब नहीं है कोई-
क्यूँ दिल है सहमा सा, क्यूँ दूरियाँ हैं दरमियाँ, क्यूँ मिलती अपनी तकदीर नहीं
आँखें नम हो जातीं तुम्हें पास ना पाकर, क्यूँ मेरे हाथ तेरे नाम की लकीर नहीं-
थे संग वो किसी गैर के
नाज़ुक से दिल पर जख्म खाये रह गए हम
दिखाना चाहा हमने आईना उनको बेवफ़ाई का
लफ़्ज़ मिलते ना थे
बात दिल की दिल में दबाये रह गये हम
कसमसाकर रह गए हम-
दुआओ में मांगा था हर पल जिसको उसे कैसे भुलायें
मुझसे वादे हजार करके क्यों वो गैर का घर बसाये
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मेरी बेचैनी, आँखों की नमी, दर्द-ए-दिल या गम-ए-सज़ा हो तुम
दिल का सुकून, होंठो की हँसी, राहत मेरी या जीने की वजह हो तुम
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बहुत रोका राह-ए-इश्क़ पर ना जा फ़िर भी दिल तेरा हुआ
दिन तो काटे मुस्कुरा कर बेहिसाब रोये जब अंधेरा हुआ
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दिल नहीं करता बातें करने का अब किसी से
एक चुप्पी छा जाती है
Bye कह देती है वो सबको
जो कहती थी Bye कहने से जान चली जाती है-
I don't know what is making me more silent..
Halting breath or pain of love in my heart-