तुम्हें जिसमें लिख सकूँ वो लफ़्ज मिलते नहीं
मिल भी जाएं लफ़्ज लेकिन तुम्हें लिखते नहीं
कोई पूछे तुम्हारे बारे.. फिर क्या बतायेंगे
रोते- रोते लिखेंगे फिर रोते हुए मुस्कुराएंगे
वो गुजरे पल गुजरी बातें याद दिलाएंगे
लिखेंगे गर तुम्हें फिर उसी दौर में आ जायेंगे
तुम्हें अब और ना लिखकर हम भी आगे बढ़ जायेंगे
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