kriti tomar  
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Joined 8 January 2020


Joined 8 January 2020
4 JUL 2021 AT 20:31

उसे आदत थी मेरी, मुझे लत
उसकी छूट गई, मुझे आज भी तलब उठती है....

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25 JUN 2021 AT 11:15

सुना था,जो एक बार जाकर लौट आए वो तुम्हारा
मुर्शद
मैंने देखा है उसे आकर , फिर दूर जाते हुए......

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19 JUN 2021 AT 21:46

मैंने देखा है तुम्हें मुस्कुराते उसकी बाहों में
मैं कैसे मान लूं मेरी नामौजूदगी तेरा दिल दुखाती है...

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9 JUN 2021 AT 11:28

आलम - ए - मशरूफियत तो देखिए साहब
ना ख्याल है किसी का, ना फ़िक्र.....

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3 JUN 2021 AT 14:26

खुशियां बिखरी रहीं "मजबूरी" के इर्दगिर्द
"मोहब्बत" की जान पर बन आई तन्हाइयों में तड़पते तड़पते...

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14 APR 2021 AT 15:41

कुछ यूं दौड़ी उसकी जिंदगी थामे मजबूरी का हाथ
ना आंखे बरसी उसकी
ना दिल घबराया उसका
ना कदम लड़खड़ाए उसके
ना याद आई मोहब्बत एक बार
"कुछ यूं दौड़ी उसकी जिंदगी"

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9 APR 2021 AT 23:58

फिर टूटा भरम मोहब्बत का
ना खत आया इश्क़ का, ना भेजे खातों का कोई जवाब आया

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28 JAN 2021 AT 23:53

दिल पर लगे जख्मों को तो वक्त भर भी देगा
रूह के चिथड़े जो कर गए हो ज़िन्दगी भर बटोरते रहेंगे हम....

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18 JAN 2021 AT 13:46

ख़ामोश हूं ,बेजुबां नहीं...

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19 MAR 2020 AT 10:43

मेरे तन से मेरे मन तक
राज करता है वो मेरे हर एक कतरे पर...


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