Kriti Singh   (Kriti Bhardwaj)
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Joined 8 July 2018


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21 MAR 2023 AT 18:37

और उसने जब-जब चूमा मेरे माथे को,
दिल ने कहा,सौंप दे खुदको

एक बार फिर....

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19 MAR 2023 AT 12:09

और उस रोज़ जाना हमने

तुम्हें खुद से दूर जाते देखना,
इस सदी की सबसे बड़ी त्रासदी है....

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12 NOV 2022 AT 0:15

क़ाश के होता कोई सावन इन आँखों का भी,
बेमौसम होते इस बरसात से पलकें तो बच जातीं...!!

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16 JAN 2022 AT 14:58

ग़र बढ़ चले तुम आगे मंज़िल से,
तो रुक जाना कुछ देर किसी मोड़ पर,
दे देना थोड़ी सी राहत अपने पैरों को,
जो रौंदकर आये हैं
नाजाने कितने ही पत्थरों को...!!


तुम्हारे कदमों के निशान पर यूँही,
चलते आएंगे हम भी आहिस्ता आहिस्ता,
देर सवेर ही सही पर पहुंचेंगे तुम तक,
कि मेरे इस लंबे सफ़र की
आखिरी मंज़िल हो तुम...!!

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11 JAN 2022 AT 22:59

खामोशी से दबा रहे हैं हर शोर को खामोशी तले,
सुना है कुछ खामोशियां चीख से भी ज़्यादा शोर करती हैं..!!

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11 JAN 2022 AT 16:48

अब दफ़्न कर लेते हैं हर बात
बड़ी खामोशी से,

कि जब कोई समझ ही न सके
तो शोर कैसा....!!

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25 DEC 2021 AT 21:00

ढूंढ लिया करो मुहब्बत अपने ही शहर में,
दूसरे शहर का इश्क़ मौसम सा बदलता रहता है...!!

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23 DEC 2021 AT 0:24

ग़र मुश्किल था तो कुछ तो वो है
तुम्हारी यादों को दिल से निकालना
और उससे भी ज़्यादा तो
तुम्हारे साथ बिताए उन पलों को भुलाना है
जिनके खयालो में डूबकर
हम अपनी बची कुची ये ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं...!!

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2 NOV 2020 AT 1:11

मत समेटो हमें अब,
बिखरे रहने दो,
उन्हें फूलों में लिपटे
पसन्द ना आये हम,

हमें काँटों में ही
निखरे रहने दो..!!

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30 OCT 2020 AT 20:10

उस शाम का,
जिस शाम मिलने की बात कहकर
गए थे तुम उस रोज़..!!

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