बेवफाई कि नशे में ,
तुम वहाँसे खेलती रहो...
शराब कि आग में,
हम यहाँ, रोज रोज जलते है..-
वो अल्फाज बन कर पेश होते हैं..
उपलब्धी तथा अपयश है,जीवन कि माया,
कर्म और प्रारब्ध का ही, है खेल सारा...
कभी धूप - कभी छाव यही है #समय_कि_धारा..-
सागर से मिलन की गुजारिश में,
चाँद खिलता है,छंटता है और मिटता भी है...
और वहाँ,
चंदा की आंस में,
समुंदर का इष्क ज्वार - भाटे के आक्रोश में उफनता है..
प्यार वही है,
जो दूर रह के भी पवित्रता की अग्नीपरीक्षा देता रहता है..-
कुछ लिखते लिखते,
तेरे खतों की याद आयी..
लिखा करती थी तुम,
प्यार भरी स्याही से..
मै पढा करता था,
तेरे कमलनयनो में..
अब मै लिखा करता हूं,
तेरी बेवफाई के कलम से...
और जमाना पढता है,
दर्द - ए - शायरी समझ के...-
कुछ लिखते लिखते,
तेरे खतों की याद आयी..
लिखा करती थी तुम,
प्यार भरी स्याही से..
मै पढा करता था,
तेरे कमलनयनो में..
अब मै लिखा करता हूं,
तेरी बेवफाई के कलम से...
और जमाना पढता है,
दर्द - ए - शायरी समझ के...-
अक्सर लोग,
दुनिया में दोस्त ढुंढते रहते है,
और एक हम है, जो
दोस्तो में अपनी दुनिया ढुंढते है...-
सुंदाटले डोळे भर दुपारी,
सहा प्याले रिचवूनी...
म्हणुनी,मधुशाळेतून बाहेर पडलो,
काळा चष्मा लावोनी...
दिसताच देणेकरी उभा बाहेरी,
आलो उलट्या पावली परतोनी...
गर्द विचारांच्या गर्दीत,
दर्द आले उफाळूनी...
म्हणुनी,पिणाऱ्यांच्या पंक्तीतला,
दर्दी मर्द उठला पेटूनी...
तिन्हीसांजेची धूपबत्ती गेली,
मधुशाळा दरवळूनी...
थोडीसी आत्मीय शुद्ध आली,
पण,सुटल्याची घंटा नसते या शाळेमधुनी..
-
मरुस्थलसीं,
इस दिल कि सतह पर,
आशिकों कि मान्सून का मिलन कहाँ...
कंबखत यहाँ,
बेवफा. बिजली भी,
#मौन में चमक जाती है...
-
कई रिश्ते खिसक जाते है,
रफ्तार भरी जिंदगी के सफर में....
लेकिन यादों कि रेल गाडी में,
झलक दिखलाती वो,
तुम्हारे अस्क के जरीये,
अनगीनत दिवारो में....-