बारिश हो जाएगी,
विरह अगन फ़िर सुलग जाएगी,
ज़ख्म पर जब गिरता पानी,
तड़प फ़िर शौर मचायेगी... ।-
शिव सत्य, कल्याणकारी, अपार प्रेम के स्वामी सखा मेरे, साथी मेरे, ग... read more
उदासियों के समंदर मेें तेरता पत्ता हूँ मैं,
जला हूँ, कटा हूँ, हर भँवर से गुजरा हूँ मैं।
मेरी हँसी खोई है ना जाने कहाँ.. ज़माने मेें,
ज़िंदगी मेें सब कुछ, लुटा के लुटा हूँ मैं..।
अँधेरी राह पर बिन दिया-बाती के चला,
तन्हा उम्र का फ़ासला तय किया हूँ मैं।
उदास हूँ, बदहवास हूँ, यूहीं मैं बेहाल हूँ,
आज हूँ, कल नहीं, जीवन मुहाल हूँ मैं।
ज़िंदगी और सुकून मेें फ़ासले बहुत है,
क्या पाया, क्या खोया, एक सवाल हूँ मैं।-
गुफ़्तगू कर लूँ ख़ुद से थोड़ी,
फ़ुर्सत अब कम मिलती है जिंदगी से,
व्यथा, विरह, ज़ख्म, दर्द,
क़हर, ज़ालिम शहर बस
यही बाकी ज़िंदगी की क़िताब मेें l
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सब्र नहीं हो रहा है, धड़कन ने मेरी बग़ावत कर रखी है,
सिमट रहें तेरे दिल मेें, अपने दिल से अदावत कर रखी है-
मेरे हाथ अब इतरा रहे है, लब, लबों से टकराने को मरे जा रहे है,
गुलाब सी महक रही तुम, इस पल को जीने के लिए मरे जा रहे है।-
अगर तुम चाहो तो, मन, तन जीवन सब तुम्हारे नाम कर दूँ,
दुआ करूँ रब से हर दिन, जीवन तुम्हारा ख़ुशियों से भर दूँ।-
कोई शाम हिस्से लिखी है क्या मिरी,
जो भीगी हो सुकून की बूँदों संग..ओर
जो भिगो दे मेरे सूखे ह्रदय को...
और मेरे जलते प्राणों को शीतलता दें..!!
की होगी वो शाम तो फ़िर जी उठेंगे,
बिखरे माटी मेें फ़िर खिल उठेंगे...!!-
एक तन, एक मन और एक जीवन, संग सब बहाने है जो सारे पुराने है,
लड़ता अकेला, अकेलेपन से, जीवन मेें सिर्फ़ कहने को रिश्ते निभाने है...!!-
विरह की अश्रुधारा
के बिंदुओं के गिरने
और उनसे उपजा
मार्मिक संगीत...
मेरा तुम्हारे प्रति
प्रेम और प्रबल
कर देता है "कान्हा"-
नदियों को कहाँ फ़िक्र की ज़िक्र हो उसका,
वो बस अपनी मौज और प्रेम मेें बहती है...!!-