Krishna Solanki   (कृष्णा सोलंकी)
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प्यार की परिभाषा, यही खोज रहा राहगीर भटका सा...
Joined 22 January 2020


प्यार की परिभाषा, यही खोज रहा राहगीर भटका सा...
Joined 22 January 2020
23 SEP 2022 AT 1:03

कहना बाकी था अलविदा उसे
आज वो भी कह दिया
कब से बैठा था इंतजार में
आज वो भी जीत गया

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5 JUN 2022 AT 2:18

ना मुलाकात हुई, ना ही कभी बात हुई
आपने दस्तक ऐसी दी, बातें सारी साफ हुई

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5 JUN 2022 AT 2:13

कब तक होंगी ये आंखों से बातें
होठों से भी कुछ कह दो ना
इन पलकों की शरारतें देखो
इनसे इतना खेलो ना।।।

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3 JUN 2022 AT 22:46

कलम चलती रही, मैं लिखता रहा
कहानी तेरी मेरी, किस्सो में कहता रहा
कोरे पन्नो पर अब कुछ किस्से थे
कुछ पर खुशी, कुछ गम के हिस्से थे

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23 MAY 2022 AT 15:34

ना इश्क है, ना अश्क है
या मौला फिर ये कैसा रश्क है

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17 MAY 2022 AT 21:04

उस गली में दो दुकानें थी
जहां शुरू हुई तेरी मेरी कहानी थी

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17 MAY 2022 AT 15:06

आंखों में नमी है
शायद तुम्हारी कमी है

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14 MAY 2022 AT 15:47

तेरे कदमों की आहट,
इन पक्षियों की चहचहाट

तेरा यूं नजरों का बलखाना
सूरज की किरणों से मिल जाना

तेरे हाथों की वो अटखेलियां
आंखों की वो पहेलियां

मेरा तेरी सूरत से ज्यादा सीरत में खो जाना
बस यही है खास, तुझमें सूफियाना...

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11 MAY 2022 AT 20:54

अश्क आज भी आते हैं
जब तेरा ज़िक्र होता है
कैसे समझाऊं आंखों को
की अश्क ना बहाए, इनका सौदा होता है

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11 MAY 2022 AT 16:01

नैनो से नैन मिलाए थे, जब उनसे यूं टकराए थे
हुई नोकझोंक मीठी सी, फिर हाथो से हाथ मिलाए थे

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