ये जो जा रहे हैं सच में, चले ही जाऐंगे क्या | हम अकेले हो रहे हैं , अकेले ही रह जाऐंगे क्या | जो ख्वाहिशें जला कर , दिन में अंधेरा कर गये हैं, वो उजाला बन फिर से , लौट कर आयेंगे क्या ..
हां माना जिंदगी थोडी बेदर्द होती है , कभी रुलाती है तो कभी हंसना भी सिखाती है, अगर उसने हाथ छोड दिया तो क्या हुआ , एक बार इसका हाथ थाम के देखो , सुना ! आखिरी सांस तक साथ निभाती है..
अगर चाहिऐ पिता दशरथ, और माता कौशल्या सी , तो बेटा राम सा तुमको बनना होगा | अगर चाहते हो पुरुषोत्तम आयें तुम्हारी कुटिया में , तो अतिथियज्ञ मां शबरी सा तुमको बनना होगा | हनुमान बनना कठिन नही है , पर लहू के हर कतरे में , तुमको राम नाम लिखना होगा| बस एक बार ले लो नाम राम का , अंतःमन के हर रावण को मिटना होगा | 🚩 मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जय हो🚩
मत भाग इनके सवालो से , ये बेशर्म जमाना है , आज तू खुद के जबावो को , इनके सवालों से भिड जाने दे | और सुन जिंदगी तेरे हर किस्से का , हिसाब होगा , बस तू एक बार कहानी तो बन जाने दे |
किसी दरिया में बहती कश्ती सा मैं , और पतवार किसी के हाथों में , चलना पेशा हो गया है मेरा , चाहे आगे भंवर हो या ऊंची लहर , कभी लहरों से टकराता तो , कभी भंवर में फंसकर निकलता मैं | अब कहीं जाकर ठहरी है कश्ती , अब उसने संभलना शुरु किया है , बहुत जर्जर जो हो गया था मैं |
हम आज भी हर दिन , बहुत सारा समय , अपने मन की जमीन पे , बहती भावनाओ की , उस नदी के किनारे बैठे रहते है , अपनी आंखो के गर्म पानी को , उसकी बहती ठंडी जलधारा में मिला आते है , जिसके जल को अपनी हथेली पे रखकर , हम अपने सपने ,अपनी ख्वाहिश को, किसी के कहने से या खुद से हारे द्वंद में , किसी अपने के रुठ जाने के डर से उनकी तिलांजली दे आते है ... -krishna
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