क्यों न इस तालीम को तोडा जाए....
अपने अजीजों में आपका भी नाम जोड़ा जाए....
ये वक़्त यूँही निकलता जाता है सबके हाथों से....
आज एक दूजे को जान कर वक़्त को पीछे छोड़ा जाए....-
Interested in love stories
Writing qoutes shayri and poems is a... read more
"कुछ कहानियाँ अधूरी
होकर भी कामिल हैं....
शादी हर मुक्कमल इश्क़
का मकाम तो नहीं होती...."-
उसे भूलना जुनून है...
उसे चाहना सुकून है...
दिल और दिमाग में बस एक ही तो जंग है...
एक चाहता सुकून है, एक चाहता जुनून है....-
"नायाब खंजर लेकर अपने ही दिल पर वार करते हैं....
खुदा रूबरू होता है, फिर भी बेबफा से प्यार करते है...."-
अब तो आँशु भी नहीं आते, दिल टूटे हुए एक अर्शा हो गया है....
जो तड़पता था प्यार की खातिर,मेरा दिल तोड़ कर शहंशाह हो गया है....-
"मुकम्मल इश्क़ अधूरा ही होता है....
जो पूरा हो जाए उसे किस्मत कहते हैं...."
😊😊
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सबके साथ होते हुए भी वो अकेले रहने की तरकीब ढूंढता है....
दुनिया भर को दुश्मन बना लिया है,कि अब चंद दोस्तों में भी रकीब ढूंढता है....
ये बेबुनियादी भरोसे का वास्ता देता फिर रहा है जमाना उसको....
जो अपने बिगड़े हबीबों में से भी, अपने जैसा शरीफ ढूंढता है....-
है धर्म का जितना बोल-बाला , उतने ही लोग बीमार बैठे हैं....
आई बनने की खबर मंदिर या मस्जिद, तो लेकर सब अखबार बैठे हैं....
और राजनीति का धंधा करने बालों क्यों दिखता नही तुम्हें????
कई देशों की आबादी से ज्यादा, युवा यहाँ बेरोजगार बैठे हैं....
धर्म जाती के नाम पर देकर हमको तलवार बैठे हैं....
क्या नौकरी क्या होती है सफलता, ये हमसे मीलों दूर उस पार बैठे हैं....
और शर्म नेताओं को क्यों आएगी?, ये शर्म का चोला उतार बैठे हैं....
वो बुड्ढे हैं जो सत्ता में हैं और हम युवा यहाँ बेरोजगार-बेकार बैठे हैं....
हम सब के नसीबों की बूढ़े पकड़ कर पतवार बैठे हैं....
नौकरी के जुमलों से चुनावी जीत के दावेदर बैठे हैं....
और जनता, जनता क्या करेगी उनका जो होकर बरदार बैठे हैं....
झूंटे विकास के नाम पर, बेच देश को कर देश का व्यापार बैठे हैं....
लेकर अपने हाथों में, कुछ अनपढ़ ये सरकार बैठे हैं....
नहीं सुनते किसी की, देखो सामने ये देश के मक्कार बैठे हैं....
और हम, हम किससे मांगते फिर रहे हैं अपने लिए रोजगार????
जब सत्ता में तो बन कर सब अंधभक्त और चौकीदार बैठे हैं।।।।-
यारों ज़रा देखो तो कैसे सरहदें दिलों की बढ़ाई जा रहीं हैं....
शायद कच्ची ईंटों की थी मेरे इश्क़ की दीवार जो ढाई जा रही है....
और कैसा मंज़र देखने को मिल रहा है मेरी इन नम आँखों को....
मैं तो जिंदा हूँ, पर मेरे इश्क़ की लाश दफनाई जा रही है....
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फूल ही फूल बिखरे हैं चारों तरफ, खुशबु फिर क्यों गायब है....
प्यार का स्वाद चखा है सब ने, फिर रोता क्यों हर शायर है....
और प्यार के नाम पर खेला था हम सब ने जिंदगी का जुआ....
अजी सब जानते हुए भी, ये दिल बन बैठा क्यों कायर है....-