Krishna Nagarkoti   (कृष्णा)
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Joined 15 November 2017


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Joined 15 November 2017
13 FEB 2019 AT 16:19

कविता
केवल शब्दों का ढेर मात्र नहीं,
कविता है कवि की कल्पनाओं का
एक सुंदर बगीचा
जिसमें प्रेम में खिले श्वेत पुष्प
और वियोग में सूखे श्वेत पुष्प
दोनों रहते हैं साथ साथ,
जिसमें उगते हैं क्रांति के
रक्त पुष्प कभी कभी,
जिनके उगने से
डोलने लगते हैं कई सिहांसन
जिनके अर्पण से होते हैं देव अवतार
कविता विचार है शब्दों का
कविता मौन अभिव्यक्ति है शब्दों की,
जिसका एक एक शब्द
रचता है अपना अलग संसार
ब्रह्मा की भांति
कविता ब्रह्म है,
कविता गुलदस्ता है
सभी मानवीय भावों का
कविता केवल ढेर नहीं शब्दों का

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5 SEP 2020 AT 8:30

हे गुरु,
ऐसी दृष्टि देना -
कि पत्थरों में हृदय देख सकूँ,
क्रोध में पीड़ा,
असफलताओं में शिक्षा ढूंढ सकूँ,
जीवन में विद्या,
बन्दूकों के बीच कलम ढूंढ सकूँ,
संसार भर की क्रूरता में दया,
घृणाओं के बीच दबा प्रेम देख सकूँ,
माता पिता की डांट में फ़िक्र,
असम्भवों में सम्भव ढूंढ सकूँ,
अमानवों में मानव,
ज्ञान पटा पड़ा है किताबों में,
मुझे बस दृष्टि देना
कि अंसख्य निराशाओं में भी
एक आशा देख सकूँ।

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30 JUN 2020 AT 10:33

प्रेम के बोधि तले बैठा हुआ मैं,
प्रेमियों का बुद्ध होना चाहता हूँ।

हाथ में लेकर स्फटिक की मालिकाएँ,
मन प्रिया के ध्यान में खोया हुआ है।
सिर्फ मेरे पास स्मृतियाँ प्रेम की हैं,
शेष जग तो प्रेम बिन सोया हुआ है।
मैं जगत में प्रेम का दीपक जलाकर
उस दिए की लौ में खोना चाहता हूँ।

प्रेमियों का बुद्ध होना चाहता हूँ।

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30 OCT 2019 AT 9:18

दुनिया में कोई शख़्स भी तुझ सा नहीं रहा।
मैं भी बदल गया हूँ सो , वैसा नहीं रहा।

दिल ढूंढता है इक नई दुनिया सुकून की,
अब इस जगह से दिल का वो रिश्ता नहीं रहा।

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24 OCT 2019 AT 21:11

यारों के बिन वो महफ़िलें वो रौनकें कहाँ,
कारे-जहाँ में अब सभी मसरूफ़ हो गये।

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11 OCT 2019 AT 14:05

अंतर है -
मरने में
और मार दिए जाने में ।

मृत्यु ,
अपूर्ण जीवन की पूर्णता है ,
एक सुंदर कविता की परिणति ।
हत्या है,
उन कविताओं को जबरन आग में झोंकना ।

मृत्यु ,
मोक्ष है ,
जीवन भर की तपस्याओं का परिणाम ।
हत्या है ,
विश्वामित्र की तपस्या में व्यवधान ।

मृत्यु ,
सभी तर्कों का मूल है ।
हत्यायें तार्किक नहीं होतीं ।

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16 SEP 2019 AT 23:40

हम तो दुनिया के बिखरे हुए गीत थे,
तुमने दिल से लगा कर हमें स्वर दिया।

प्रेम की एक अधूरी सी मूरत थे हम ,
हमको अब तक का जीवन अधूरा मिला।
हमने जीवन का हर पथ खंगाला मगर,
जिस तरफ भी गए बस अंधेरा मिला।
तुम मिले , पथ हमारे प्रकाशित हुए ,
तुमने दिल में बसाकर हमें घर दिया।

हम तो दुनिया के बिखरे हुए गीत थे,
तुमने दिल से लगा कर हमें स्वर दिया।

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13 SEP 2019 AT 14:26

जैसे सुबह ने धूप बिछा रक्खी हो हरे बागानों पर ।
उसने अपने बाल बिछा रक्खे हों मेरे शानों पर ।


बड़े दिनों के बाद वो मुझसे मिलने आये ख़्वाबों में,
उनकी ख़ुश्बू महक रही है अब तक मेरे गालों पर ।


शाम हुई तो बच्चों की आवाज़ से सारा घर महका,
जैसे तारे फ़लक से उतरे हों घर के दालानों पर ।

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8 SEP 2019 AT 19:24

सुख एक पल के लिए आता है, हम उसे कई दिनों तक अपने पास सम्भाल कर रख लेते हैं और उसका जश्न मनाते हैं। इसी तरह दुख भी केवल एक क्षण के लिए आता है, उसके बाद तो केवल उसका प्रभाव बचता है और उस प्रभाव को हम शोक के रूप में मनाते हैं । इसी जश्न और शोक के बीच हम अपना जीवन बिता देते हैं। जीवन चंद लम्हों या दिनों की बिसात है।आप कितना जिएंगे ये आप नहीं जानते , मगर एक बात स्पष्ट है कि चाहे जितना जी लीजिए आखिर में कम ही लगेगा, प्रतीत होगा कि जीवन में कुछ अपूर्णता है । मगर सृष्टि अपूर्णता से ही पूर्ण है ,जीवन अपूर्ण होने पर भी पूर्ण है।

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3 SEP 2019 AT 22:00

किस्मत की ठोकरें मुझे ले आईं बुतकदे,
मैं भी अना में चूर था , अंदर नहीं गया।

बचपन की आदतें गईं बचपन चला गया,
कमबख़्त दिल से तीरगी का डर नहीं गया।

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