--- हाँ तुम्हीं हो ---
रास्ते कुछ यूँ बदल गए ,
जैसे मौत हो गई हो।
ज़ख्म कुछ यूँ लग गया,
जिसका मरहम ना हो ।
जीने की तमन्ना यूँ खत्म हो गई,
जैसे दरवाजे पर मौत खड़ी हो।
हाथों से वक़्त कुछ यूँ फिसल रहे है,
जैसे बुरा वक़्त से ज़िन्दगी की डोर बँधी हो ।
आखों की पानी आँख में सुख गयी ,
जैसे काली बादल ने बरस ने की इरादा बदल दी हो।
हाथों में हाथ की रेखा बदल दी बो,
बातों में बात की मिठास बदल दी बो ,
उसके लिए मेरे दिल में प्यार की आस बदल दि बो,
क्या तुमसे कभी सुना है , सच कभी नहीं छुपता,
झूठ से वाकिफ हो के सच की जोखिम में है बो।
कितनी बार बोलूं समझ नहीं आता क्या ,
अरे झूटी सपने और सच्ची प्यार में है बो।
बताओ कौन है बो?
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