Krishna Kant Bajpai   (KK)
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Joined 1 June 2018


Joined 1 June 2018
16 MAR 2022 AT 19:11

ख़्वाहिश है तुझे अपने हाथों से ग़ुलाल लगाऊँ
हकीक़त ये है कि बस एक ख़्वाहिश ही रहेगी— % &

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20 DEC 2021 AT 1:18

मुझसे बात करने का समय इस तरह भी निकाला करती थी
वो Coaching से घर साथ पैदल आया करती थी

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14 DEC 2021 AT 2:45

हुस्न पर मरने वाले ज़िन्दा रहते है बिछड़कर
मोहब्बत करने वालों के दिल मर जाया करते हैं

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23 NOV 2021 AT 0:57

यूं बाहर इत्र लगाकर न निकला कर
ये हर शख्स को तेरा पता बताता है

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12 OCT 2021 AT 0:15

इश्क़ के फ़रेब से अब डर चुका हूं मैं
ज़िंदगी मे थोड़ा अब सवंर चुका हूं मैं
वो शख़्स आज भी ज़िंदा है मुझमे
जिसके लिए कबका मर चुका हूं मैं

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27 MAR 2021 AT 13:32

चलो उन बन्द दरवाज़ों को खोला जाये
जिनसे नफ़रत है उनसे भी बोला जाये
ये दुनिया तो गम से बेरंगी पड़ी है
चलो इसमे खुशियों का रंग घोला जाये

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25 MAR 2021 AT 17:19

वो कितना अज़ीज़ है उससे ये कहना चाहता हूँ
उस दरिया संग ताउम्र मैं बहना चाहता हूँ
हा मालूम है मुझे शायद उसके दिल में कोई है
मैं बस दिल के किसी कोने में रहना चाहता हूँ

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23 MAR 2021 AT 1:57

सूरत एकदम भोली है
ज़हर जिनकी बोली है
रोज़ रंग बदलने वाले
पूछ रहे कब होली है

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23 MAR 2021 AT 1:29

उसके आगे जैसे सारा जहां बेगाना है
वो सक्श जैसे ख़ुद में सारा ज़माना है

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18 MAR 2021 AT 4:11

हमें क्या ख़बर थी उसके दिल में कौन रह रहा है
वो जैसे देखता नहीं मेरे आँखों से दरिया बह रहा है
ये कैसा महबूब है जो सिर्फ लफ़्ज़ों कहा सुनता है
तू बस मेरी ख़ामोशी सुन दिल क्या क्या कह रहा है

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