ख़्वाहिश है तुझे अपने हाथों से ग़ुलाल लगाऊँ
हकीक़त ये है कि बस एक ख़्वाहिश ही रहेगी— % &-
मुझसे बात करने का समय इस तरह भी निकाला करती थी
वो Coaching से घर साथ पैदल आया करती थी-
हुस्न पर मरने वाले ज़िन्दा रहते है बिछड़कर
मोहब्बत करने वालों के दिल मर जाया करते हैं-
यूं बाहर इत्र लगाकर न निकला कर
ये हर शख्स को तेरा पता बताता है-
इश्क़ के फ़रेब से अब डर चुका हूं मैं
ज़िंदगी मे थोड़ा अब सवंर चुका हूं मैं
वो शख़्स आज भी ज़िंदा है मुझमे
जिसके लिए कबका मर चुका हूं मैं-
चलो उन बन्द दरवाज़ों को खोला जाये
जिनसे नफ़रत है उनसे भी बोला जाये
ये दुनिया तो गम से बेरंगी पड़ी है
चलो इसमे खुशियों का रंग घोला जाये-
वो कितना अज़ीज़ है उससे ये कहना चाहता हूँ
उस दरिया संग ताउम्र मैं बहना चाहता हूँ
हा मालूम है मुझे शायद उसके दिल में कोई है
मैं बस दिल के किसी कोने में रहना चाहता हूँ-
सूरत एकदम भोली है
ज़हर जिनकी बोली है
रोज़ रंग बदलने वाले
पूछ रहे कब होली है-
उसके आगे जैसे सारा जहां बेगाना है
वो सक्श जैसे ख़ुद में सारा ज़माना है-
हमें क्या ख़बर थी उसके दिल में कौन रह रहा है
वो जैसे देखता नहीं मेरे आँखों से दरिया बह रहा है
ये कैसा महबूब है जो सिर्फ लफ़्ज़ों कहा सुनता है
तू बस मेरी ख़ामोशी सुन दिल क्या क्या कह रहा है-