जख्मों को.. सिलने का.. अब मन नही करता ।।
जो आँखे.. कर जाती हैं ..वो दर्पण नही करता।।-
उसे सोच कर
जो हसते है
मेरे हालात पर
पता नही इस बात पे आखिर कितना सही हूँ मैं ।
पर तुमसे जुदा होने का कभी सोचता नही हूँ मैं ।।-
मुझसे दूर होके भी तो मेरे पास में रहता है
तु अब किस कारण किसी काश में रहता है-
तमाम कमियां एक साथ में खत्म होती गयी
एक मोहब्बत हर मर्ज की मरहम होती गयी-
सब कुछ ठीक रहने से
बातों तक फिर कहने से
मुझे तुम यूँ ही सुंदर लगती हो
मुझे मतलब नहीं तेरे गहने से-
क्या खबर है उसे
वो अपने खबर में है
नंबर पास में है उसका
और वो नजर में है
दुरी रोज बढ़ती है
कम नही हो रही
सुना है की वो रहती
दिनारा शहर में है
किस बात की खुशी
किस बात के मंजर में है
वो कहीं और नही
मेरे दिल के घर में है-
खुद को बदलने की जिद में
खुद ही मतलबी मत बनो
तुम अपना समझो सबको
यूँ अजनबी मत बनो-
कसम तो थी साथ निभाने की
नसीहत मिली मोहब्बत भुलाने की
फिर मैंने कहा की चले जाओ
पर कीमत बताओ लौट आने की-
नाव से दरिया पार करके किसने तैरना सीखा है
मेहनत बताता है साहब किस्मत में क्या लिखा है-