krishna dwivedi  
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Joined 26 November 2018


Joined 26 November 2018
23 FEB AT 11:03

मुझमें बिखरे हुए से अँधेरे है,
तुम ऐसी रातों को अपना पाओगी क्या...
तुम्हारे ख्यालों से बेचैन रहता हूं
हाथ थाम के गले से लगा लोगे क्या...!!

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27 OCT 2024 AT 8:41

बेगुनाह कोई नहीं सबके राज़ होते हैं...

किसी के छुप जाते हैं किसी के छप जाते हैं...!!

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7 FEB 2023 AT 13:23

जब लोग कहते हैं... आप बदल गए हैं तो इसका मतलब है कि आपने उस तरह से व्यवहार करना बंद कर दिया है जैसा वे चाहते हैं...!!

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13 JAN 2023 AT 14:44

ना जाने कौन सी शिक़ायतों का हम शिकार हो गए...

जितना दिल साफ रखा उतना ही गुनहगार हो गए...!!

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7 MAY 2022 AT 22:36

कम लोग हों पर अपने हों

ज़िंदगी कोई तमाशा थोड़ी है कि भीड़ चाहिए— % &

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19 APR 2022 AT 22:26

अपने अंदर के तमस को जब भी हो हराना
तुम कोशिशों के मुंडेरों से जुगनुओं को लाना...

जब जब किस्मतों के फैसलों से मुश्किल हो लड़ पाना
तब तब अपनी हार पर भी तुम मुस्कुराना...

झुकना पड़ता है हौसलों के आगे यहाँ चट्टानों को
इसलिए संघर्षों से कभी जरा भी नही घबराना...

यहाँ जो भी लोग हँसते हैं तुम्हारी विफलताओं पर
तुम सफलताओं की इमारतों को उनसे ऊंचा बनाना...

कोई न आए अगर मदद करने मशालों को लेकर
तब अपने अंदर के दर्दों से चिंगारियां सुलगाना...

रोशन कर देना सारे जहान को अपनी कामयाबी से
भटके हुए लोगों में एक उम्मीद की किरण जगाना...!!— % &

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6 MAR 2022 AT 8:53

धोखे की दुनियां है साहब यहाँ कदम कदम पर धोखेबाज लोग मिल जाएंगे इसलिए समझदार के साथ साथ शातिर भी बनना सीखो...!!— % &

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21 JAN 2022 AT 22:08

😘...होठों पर इज़हार...😘
❣️...दिल में क़रार रखना...❣️
💞!!...ये साथ यूँ ही बरकरार रखना...!!💞

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21 JAN 2022 AT 21:06

Tum meri ho ye jaan lo
Sab khushiyan tumse hai ye maan lo
Tamanna h sath jeene ki
Jaan bada lamba safar h haath tham lo


😌💞Happy 1st love anniversary 💞😌

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13 DEC 2021 AT 23:47

सबसे दूर रहता हूँ आज कल इसलिए नहीं कि ये दुनिया बुरी है बल्कि मैं खुद इतना बुरा हूँ कि इस प्यारी दुनिया के लायक नहीं हूँ काफी अच्छे लोग हैं इस दुनिया में और मैं इन अच्छे लोगों में रहने लायक नहीं हूँ यूँ तो साथी बहुत हैं आस पास मेरे पर मैं ही किसी का साथ निभाने लायक नहीं हूँ अब तक काफी लोगों का दिल दुखाया और बुरा किया मैंने पर मैं किसी का अच्छा कर सकूँ मैं शायद इस लायक ही नहीं हूँ कहाँ कब कैसे क्या करूँ ये सवाल दिन रात मुझे खाता है और जब जब देखता हूँ आईने में खुद को क्यों मुझे खुद पर तरस आता है मुझे बस खुद में एक हारा हुआ इंसान नजर आता है यही विचार मुझे हर बार आता है...!!

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