बिखरे गेंसू, सूजी आँखे और मेरा ये टूटा दिल,
चेहरे पर ऐसी मायूसी सच कहता पहले न थी,
प्यार हुआ,एक सूरत भाई,जिगर जला फिर लोग जले,
किसका-किसका हाँथ छुपा है देख मेरी बर्बादी में..।।-
चाह कर भी तुझे अब भुलाया नही जाता,
इस दिल में कोई और अब लाया नही जाता,
है तुमसे मोहब्बत हमे कितनी दफा कहें,
आशिक़ को इस तरह से सताया नही जाता..।।-
तुम बैठो मेरे साथ कभी,
हाँथो में लेकर हाँथ प्रिय,
मैं भी अपना तन-मन सच में,
तेरे दिल को अर्पण कर दूँ..।।-
तुम्हारी आँख से दिल में उतरना चाहते है,
हम तुम्हारे आज होना चाहते है..।।-
सिखा दो तुम हमे ये इल्म जाना आज चाहत का,
जो भी होगा सनम अंजाम अब इस दिल पे गुजरेगी..।।-
तेरा यूँ हाँथ से चेहरे को ढकना,
उँगलियों से जुल्फे झटकना,
नज़रे उठा कर फिर गिराना,
जाते-जाते यूँ पलटना,
दीवाना कर देता है....।।-
शहद की मीठी प्याली जैसी,मधुबन में हरियाली जैसी
जंगल में झरने की कल-कल,फूलों की वो डाली जैसी,
मुझे देखते वो शरमाए, दुल्हन वही जो पिया मन भाये.........।।-
तुम्हारी आँख से गिरकर नज़र में ठहर जाने की तमन्ना है मेरी........।।
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निज को सर्वोत्तम और अन्य को हीन समझने वाले,
होते है कुछ और मगर इंसान नहीं होते है........।।-