I have known Ijhare-Tamanna from whom, I am often deceived by your looks ... I am saddened by the age, why this must have happened, Who should tell us now that this happens .. !!!
दिल शिकस्ता हुए, टूटा हुआ पैमान बने , हम वहीं हैं जो तुम्हें देख के अनजान बने ... उन की दूरी का भी एहसां है मेरी सांसों पर , मुझ से इस तरह वो बिछडे कि निगेहबान बने ..!!!
किया है मैंने इजहारे-तमन्ना जाने किस-किस से , मुझे अकसर तेरी सूरत का धोका हो ही जाता है ... मुझे तो उम्र भर का गम, कि ऐसा क्यों हुआ होगा , हमें अब कौन समझाए कि ऐसा हो ही जाता है ,..!!!
सूफियाना है तेरी खुदाई , क्या कहना तेरे नूर का , कलीमा पढा तेरे नाम का , हुआ मैं तबसे तेरे नूर का ..... शाहगुल की पंखुडी-सी नजाकत , इत्र की महक सुहानी , आंखों में सूरमा लगाकर चांद सी हंसती हो तुम नुरानी ..... लफ्ज इतने नहीं कि बयां कर पाऊं कुछ तेरे तौसीफ में , बस इतना ही कह पाता हूँ कि नवाजिश हो तुम खुदा की ..... कि तुम मिली मुझे बक्षीष में ..!!!!!
चाहतों से परे चाहत हो तुम , आदतों से बडी आदत हो तुम ..... बिखरती तेरी जुल्फों को संवारने की मन्नत , मांगता हूँ मैं जब तारा टूटे कोई .... दिल धडकता नहीं है देखने में तुझे-तुझे , सच बताओ तुम इन्सान ही हो ना ........ या जमीं पर उतरी जन्नत की नूर हो तुम ..!!!!
है जुस्तजू कि खूब से है खूबतर कहां , अब ठहरती है देखिये जाकर नजर कहां .. इक उम्र चाहिये कि गवारा हो नीशे-उम्र , रक्खी है आज लज्जते - जख्मे - जिगर कहां .... हम जिस पर मर रहे हैं वो है बात ही कुछ और , आलम में तुझ-से लाख सही , तू मगर कहां ....!! होती नहीं कबूल दुआ तर्के - इश्क की , दिल चाहता न हो , तो जबां में असर कहां ...!!!!!!
बिगडें न बात-बात पे क्यों , जानते हैं वो , हम वो नहीं कि हमको मनाया न जाएगा ..... तुम को हजार शर्म सही , मुझको लाख जब्त , उल्फत वो राज है जो छुपाया न जाएगा ..!!!!
याद आएंगे जमानों को मिसालों के लिए , जैसे बोसीदा किताबें हों हवालों के लिए ...... देख यूं वक्त की दहलीज से टकरा के न गिर , रास्ते बन्द नहीं सोचने वालों के लिए ...!!!!