Krishna Chandra Mishra   (कृष्णचन्द्रः मिश्रः)
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19 JUN 2020 AT 1:19

गर्द में अट रहे हैं अहसासात ,
धीमे-धीमे बरस रही है रात .....
जल उठा इक चिरागे-शाम तो क्या ,
बुझ गए बेशुमार इमकानात .....!!!!!

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17 FEB 2021 AT 13:01

I have known Ijhare-Tamanna from whom,
I am often deceived by your looks ...
I am saddened by the age, why this must have happened,
Who should tell us now that this happens .. !!!

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9 FEB 2021 AT 19:47

दिल शिकस्ता हुए, टूटा हुआ पैमान बने ,
हम वहीं हैं जो तुम्हें देख के अनजान बने ...
उन की दूरी का भी एहसां है मेरी सांसों पर ,
मुझ से इस तरह वो बिछडे कि निगेहबान बने ..!!!

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9 FEB 2021 AT 19:40

किया है मैंने इजहारे-तमन्ना जाने किस-किस से ,
मुझे अकसर तेरी सूरत का धोका हो ही जाता है ...
मुझे तो उम्र भर का गम, कि ऐसा क्यों हुआ होगा ,
हमें अब कौन समझाए कि ऐसा हो ही जाता है ,..!!!

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13 JAN 2021 AT 20:47

The murderer of your style has looted me ,
Your words have looted me ....
I was not fond of dying ,
I have looted your intoxicating eyes ....!!!!

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9 JAN 2021 AT 16:05

सूफियाना है तेरी खुदाई , क्या कहना तेरे नूर का ,
कलीमा पढा तेरे नाम का , हुआ मैं तबसे तेरे नूर का .....
शाहगुल की पंखुडी-सी नजाकत , इत्र की महक सुहानी ,
आंखों में सूरमा लगाकर चांद सी हंसती हो तुम नुरानी .....
लफ्ज इतने नहीं कि बयां कर पाऊं कुछ तेरे तौसीफ में ,
बस इतना ही कह पाता हूँ कि नवाजिश हो तुम खुदा की .....
कि तुम मिली मुझे बक्षीष में ..!!!!!

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8 JAN 2021 AT 22:20

चाहतों से परे चाहत हो तुम ,
आदतों से बडी आदत हो तुम .....
बिखरती तेरी जुल्फों को संवारने की मन्नत ,
मांगता हूँ मैं जब तारा टूटे कोई ....
दिल धडकता नहीं है देखने में तुझे-तुझे ,
सच बताओ तुम इन्सान ही हो ना ........
या जमीं पर उतरी जन्नत की नूर हो तुम ..!!!!

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1 JAN 2021 AT 22:29

है जुस्तजू कि खूब से है खूबतर कहां ,
अब ठहरती है देखिये जाकर नजर कहां ..
इक उम्र चाहिये कि गवारा हो नीशे-उम्र ,
रक्खी है आज लज्जते - जख्मे - जिगर कहां ....
हम जिस पर मर रहे हैं वो है बात ही कुछ और ,
आलम में तुझ-से लाख सही , तू मगर कहां ....!!
होती नहीं कबूल दुआ तर्के - इश्क की ,
दिल चाहता न हो , तो जबां में असर कहां ...!!!!!!

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1 JAN 2021 AT 22:17

बिगडें न बात-बात पे क्यों , जानते हैं वो ,
हम वो नहीं कि हमको मनाया न जाएगा .....
तुम को हजार शर्म सही , मुझको लाख जब्त ,
उल्फत वो राज है जो छुपाया न जाएगा ..!!!!

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29 OCT 2020 AT 18:40

याद आएंगे जमानों को मिसालों के लिए ,
जैसे बोसीदा किताबें हों हवालों के लिए ......
देख यूं वक्त की दहलीज से टकरा के न गिर ,
रास्ते बन्द नहीं सोचने वालों के लिए ...!!!!

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