आज मन ये करना चाहे खुदसे थोड़ी बात
आज फिर से भोली सूरत आ रही है याद
कितने सन्नाटे भरे है, कितनी दुविधा मे पड़े है
ओस की बूँदों से पलकें कर रही है सवाल
फूल को मैं धूल कह दूँ या खतों को भूल कह दूँ
या कहूँ के खो गए हैं अब मेरे जज्बात
जिस जगह पे तुम मिले थे,मौन होकर हूँ वहाँ मैं
घूम कर आओगे मुझतक है मेरा विश्वास
कौन था मैं क्या हुआ हूँ? कुछ नहीं है ज्ञात मुझको
ढूँढने निकला हूँ खुदको,जग से ले अवकाश
सब यहाँ पर खुश नहीं हैं, झूठ है की दुख नहीं है
जी रहें हैं लोग छल में, जलते हैं दिन रात
दिल किसी का मत दुखाना, न किसी से बैर रखना
करना तुम बदलाव खुदमें, जैसे हो हालात
जब किसी से चोट खाना या कोई तुमको गिरा दे
बोल बम-बम और फिर से कर नई शुरुआत-
BA Statistics Hons.
Learning Poet
मैंने ये कब कहा तुम मेरे कुछ नहीं
अर्चना में हो तुम हो समर्पण में तुम
हो इबादत में तुम हो जियारत में तुम
मेरे गजलों में हो सिर्फ शामिल तुम्हीं
मैंने ये कब कहा तुम मेरे कुछ नहीं।१।
हर घड़ी बीतती है तुम्हारे बिना
सांस लेता नहीं मैं तुम्हारे बिना
हो मेरा ख्वाब या हो हकीकत मेरी
है पता मुझकों तुम हो यहीं पे कहीं
मैंने ये कब कहा तुम मेरे कुछ नहीं।२।
मेरे एहसास की हर कहानी मे तुम
लोग कहते है मेरी जुबानी मे तुम
कर रहा है सफर,मन ये हारा हुआ
छिप गए चाँद सा तुम कहाँ हमनशीं?
मैंने ये कब कहा तुम मेरे कुछ नहीं।३।-
है वीराने मे मेरा एक आशियाना
पल ठहर होना है मुझको फिर रवाना
राज की बातें तुम्हे ही कह रहा हूँ
लाज रखना और सबसे मत बताना
है वीराने मे मेरा एक आशियाना
जब कभी भी शून्यता डसने लगी तो
मैंने उसको अपने सबसे पास पाया
खो गया हूँ मैं किसी की बात मे
हो सके तो समय रहते ढूंढ लाना
है वीराने मे मेरा एक आशियाना
जुगनुओं से पा लिया उसका ठिकाना
कल सुबह ही मुझको है बड़ी दूर जाना
सर्वस्व तुमपे छोड़ कर ही जा रहा हूँ
ध्यान रखना पीछे से मुझे मत बुलाना
है वीराने मे मेरा एक आशियाना....-
नाम लिखकर मिटाना नहीं चाहिए
राज सबको बताना नहीं चाहिए
खोने का, पाने का डर सुलगता रहे
अब यूँ आँखें मिलाना नहीं चाहिए-
कुछ ख़्वाब स्वतः जगते हैं
कुछ ख़्वाब यूँ ही पलते हैं
जिनसे संगम न होना हो
वो यूँ ही सदा मिलते हैं
आँखों से बलाएँ ढाती है
बिजली सी चमक जाती है
उनके तो हैं सौभाग्य बहुत
भावों से शून्य रहते है
कुछ ख़्वाब स्वतः जगते हैं
कुछ ख़्वाब यूँ ही पलते हैं
बचना इनसे आसान नहीं
संचित मैं तुम्हें कहता हूँ
छल है इनका भोला मुखड़ा
जो पुष्प सदृश खिलते हैं
कुछ ख़्वाब स्वतः जगते हैं
कुछ ख़्वाब यूँ ही पलते हैं
अपूर्ण-
—:मिट्टी और स्याही:—
कैसा परिणय है ये प्रियतम कैसी दुविधा में डाला है,
हर रोज जपा करता था जो तेरी नाम कि बस वो माला है।।
हर आस हृदय की झूठी थी,
विश्वास हृदय का झूठा था,
माया बनकर आयी थी तुम,
वो प्यार तुम्हारा झूठा था,
ठोकर ठोकर से इस दिल को किस तरह से रोज संभाला है,
हर रोज जपा करता था जो तेरी नाम कि बस वो माला है।।-
कुछ कहने और सुनने को बाकी नहीं है
चेहरे पे अब भी उसके उदासी नहीं है
इश्क़ है काफिला दर्द का,अश्क का
मौत आने को अब भी राजी नहीं है
कोई सुने जो सदाएं, तो कुछ कहूँ
कोई गले से लगाए, तो कुछ कहूँ
यहाँ सभी गहरी नींद मे सोये हुए हैं
कोई इनको जगाए, तो कुछ कहूँ
बात ख़तम होने को आई हो तो चलूँ?
तुमको फिर ढूँढने जाना हो,तो चलूँ?
यूँ सफर मे चलते चलते पाँव कट गए हैं
छालों पे नमक लगा दिया हो तो चलूँ?-
जहाँ कृष्ण नाम गिरिजाघर हो
जहाँ मंदिर हो बिस्मिल्लाह की
जहाँ मस्जिद रघुनायक की हो
वो भारत सबसे प्यारा है
हाँ, हिंदुस्तान हमारा है...
जो परशुराम की अचला है
जो चंद्रगुप्त का बल-पौरुष
जहाँ बुद्ध ज्ञान की धारा है
वो भारत सबसे प्यारा है
हाँ, हिंदुस्तान हमारा है...
जहाँ पुष्यमित्र का जन्म हुआ
जहाँ राजपुताना नायक है
जहाँ कर्मशील राजेंद्र प्रथम
जहाँ सिक्ख गुरु गुरुनानक है
हमें गर्व मराठों पर है अधिक
जय मातु भवानी नारा है
वो भारत सबसे प्यारा है
हाँ, हिंदुस्तान हमारा है...
रानी लक्ष्मी की कर्मस्थली
रजिया का है संघर्ष यहाँ
अकबर अशोक सा समदृष्टा
ऐसा इतिहास हमारा है
वो भारत सबसे प्यारा है
हाँ, हिंदुस्तान हमारा है...-
भावों को श्रधांजलि दे दी,खुद का भी अस्तित्व नहीं है
उत्तर हर कोई माँग रहा है,यह मेरा दायित्व नहीं है
सब कहते थे तुम मेरी हो, तुम मेरी अभिलाषा हो
तुमको फिर से अपना कह दें,ऐसा परिणामित्व नहीं है...-
आज कलाई सूनी है फिर
सूना सा मन आँगन है
हर घर में खुशहाली है फिर
हर घर छाया सावन है
जिनके बहनें होती हैं वो
हँसते है राखी के दिन
हम बैठे है नयन नीर सह
सुप्त हर्ष राखी के दिन
😔-