KriShan Kant   (KRISHAN KANT)
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Joined 11 May 2021


Joined 11 May 2021
21 JAN 2024 AT 9:16

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24 OCT 2023 AT 21:10

अंतर्मन के द्वंद से में कैसे जीत के आऊ।
अपने ही तीरों से घायल, हर बार होता जाऊं ।।
हूं कौन ? मैं कैसा हूं ?
गहन चिंतन कर भी, समझ ना पाऊं।।
मेरे समझ से परे हूं मैं , हर बार और उलझता जाऊं।
हार हार के और कैसे मैं ,कखुद को और गिराऊ।
बुरा अंश है जो मेरा , क्यों सबको ना बतलाऊं।
परिपक्वता की अग्निकुंड से , निकलकर जब आ पाऊं।।
अंदर का रावण जल जाए , तो दशहरा पर्व मनाऊं।।

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8 FEB 2023 AT 21:44

जो गलती जुबान कर गए थी ,
वह अदायगी दिल से कर दी।
इंसान मानते होंगे तो कर दीजिएगा माफ
ना तो बराबर हिसाब फिर कर लीजिएगा
अब खुदा शिकायत नहीं तुझसे भी,
बस एक और एहसान हो जाए
मेरा पाला हुआ मैं,
मेरे संग कहीं गुमनाम हो जाए।।
।।ऊं शांति।।

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12 JAN 2023 AT 21:24

ख्वाहिश क्या? हमारी जान चाहिए,
कुछ जरा खुल के बताइए
पढ़ाव एक बचपन का छीन तो लिया,
अब क्या घायल जवानी चाहिए।।

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28 DEC 2022 AT 1:12

कैदी लगते हैं,घरों में पड़े तुम ।।
घर से निकल mursad,
आजाद पंछी आसमान में उड़ते अच्छे लगते हैं ।।

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28 DEC 2022 AT 0:44

अच्छा करना मत, करने का भी मत सोचना । वरना इस कलयुग में, सबकी नजरों में सबसे बूरे आप हो जाएंगे।।

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18 DEC 2022 AT 20:47

क्या मानता हूं तुमको ,
2 पंक्तियों में सुन मेरे यार।
तू मेरा तारक है ,
मैं तेरा जेठालाल।।
#bff ❤️

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13 DEC 2022 AT 15:40

टकराओ ना पत्थरों से सर ,
खुद को घायल कर जाओगे ।
समझ बहुत है सभी में आजकल,
समझाने जाओगे गर तुम ,
तो खुद सवाल बन जाओगे।
💯❤️

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5 DEC 2022 AT 20:13

ज्यादा खुश मत हो परखने वालों,
तुम हमको उतना ही
और वही समझ पाए हो,
जो हमने tumko समझाना चाहा है।।
❤️ Got it ❤️

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5 DEC 2022 AT 16:33

दुनिया की बातों में आकर
खुद को घायल कर डाला।।
छोड़कर अपने शौक को
घर तिहाड़ जेल बना डाला।।

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