उस दिन .. तुमने जो बात कही थी .. रात भर जग कर मैंने सुबह की थी ! तुमने सब बोल दिया लेकिन सुन रहीं थी खामोश होकर ! उस दिन खुद के लिए ही , एक सवाल बनी थी ..
कितने कद़म बढ़ाए तुमने मेरी और ना जाने कितने किए मुझमे बस जाने के वादे .. ये सोच सोच कर पूरी रात रोयी थी.. उस दिन....
वो जिंदगी से जिंदगी किस्सा बन गया .. ना जाने कब मेरी रूह का हिस्सा बन गया .. ना भुलाने की फितरत मेरी, ना उसके लौटने की चाहत पता नहीं कब वो मेरे दिल का हिस्सा बन गया पता नहीं ना जाने कब वो जिंदगी से....जिंदगी का किस्सा बन गया !