इतने शिद्दत (shiddat) से लगाव–ऐ–धूर्त होने लगे हैं शख़्स ।। अब हमने भी सवालों का सिलसिला पूछना ख़त्म कर दिया ।। -
इतने शिद्दत (shiddat) से लगाव–ऐ–धूर्त होने लगे हैं शख़्स ।। अब हमने भी सवालों का सिलसिला पूछना ख़त्म कर दिया ।।
-
आज का भरोसा आने वाले कल का धोका है ।।ये बातें अब अपनी सोच को समझा देना ।। -
आज का भरोसा आने वाले कल का धोका है ।।ये बातें अब अपनी सोच को समझा देना ।।
पहले इंसानों की वार्तालापो से जाने जातें थे चरित्र इंसानों की ।। अब तो बस फोन ही बता पाएंगे उनकी असलियत क्या है ।। -
पहले इंसानों की वार्तालापो से जाने जातें थे चरित्र इंसानों की ।। अब तो बस फोन ही बता पाएंगे उनकी असलियत क्या है ।।
रफ्ता रफ्ता यूं किस्तों में खाती गई – लगातार वो साहब जादी उसे । वो मर्द भी यूं भ्रम में था की लगाव ज्यादा है ।। -
रफ्ता रफ्ता यूं किस्तों में खाती गई – लगातार वो साहब जादी उसे । वो मर्द भी यूं भ्रम में था की लगाव ज्यादा है ।।
हमारी वार्ता पे मत जा वाजिद ।।देख हमारे रक़ीब अभी भी जिंदा हैं ।। -
हमारी वार्ता पे मत जा वाजिद ।।देख हमारे रक़ीब अभी भी जिंदा हैं ।।
बाजारों में जो निकाला तो देखा , बेचने को नकाबें लगातें थे कुछ गैर चेहरे ।। नादान मैं भी पता कहां नकाबे पहने ख़रीद फिरते हैं अपने ।। -
बाजारों में जो निकाला तो देखा , बेचने को नकाबें लगातें थे कुछ गैर चेहरे ।। नादान मैं भी पता कहां नकाबे पहने ख़रीद फिरते हैं अपने ।।
" यूं झुक के वफादारी करना " ये मुझे मत समझा वाजिद ।। मैंने गुलामों की कभी इज्जत नहीं देखी।। -
" यूं झुक के वफादारी करना " ये मुझे मत समझा वाजिद ।। मैंने गुलामों की कभी इज्जत नहीं देखी।।
" की कहते हैं " बीच दरिया में इस कदर भी मत कर डुबोने को हमे हदें पार ।। हम जो दुबे तो तुम भी तैर के पछताओगे । -
" की कहते हैं " बीच दरिया में इस कदर भी मत कर डुबोने को हमे हदें पार ।। हम जो दुबे तो तुम भी तैर के पछताओगे ।
दुश्मनी अगर किसी से हो तो नजर आनी चाइए।अब हम भी उन में से तो नहीं जो नकाब लगाए फिरते हैं -
दुश्मनी अगर किसी से हो तो नजर आनी चाइए।अब हम भी उन में से तो नहीं जो नकाब लगाए फिरते हैं
इक वो चीज जिसने मेरा सब से ज्यादा भरोसा जीता हैकी किसी पे भरोसा मत करना ।। -
इक वो चीज जिसने मेरा सब से ज्यादा भरोसा जीता हैकी किसी पे भरोसा मत करना ।।