मेरी बर्बादियो को अपना नाम दोगी क्या ? मैं Bakaiti बहुत करता हु, साथ दोगी क्या ? इश्क़ बेहद था, है , और रहेगा तुमसे ही, तुम बताओ हर हालात में, साथ रहोगी क्या ?
हे कोई ऐसी बात जो जहालत लगे ? मैं इश्क़ बोलूं और इबादत लगे.! मैं बताऊं तरीके खुश रहने के, ऐसी बाते बोलूं के अदावत लगे.! तू बस सरल सी तैयार हो जा इस तरह, सारी दुनिया एक तरफ़ तू सजावट लगे.! मेरी नादानी है, इज़हार नहीं करता महोब्बत, कैसे कहूं तुझे ? के मेरा हर लब्ज़ कहावत लगे.! तेरी आंखे है या मेरी ही कोई ग़ज़ल ? ऐसे पढ़लूं तेरी आंखे जैसे लिखावट लगे.! तू खुद चलकर आए मेरे पास, ऐसी करवट बदले कुदरत के बनावट लगे.! तू इनकार करे मेरे इज़हार को इस तरह, इस तरह फेरे पहलू को के शरारत लगे..!
Tu shola nahi jisse pighal jau mai, Tu shabnaam hai Gulaab ki jisme ghul jaau mai... Tu koi hoor nahi jannat ki jise dekh kr bahek jau mai, Tu noor-e-ibadat hai mera tujse mahek jaau mai... Tu gaur kare to jaane tu khud kya hai...! Tu shab-e-mehtaab nahi jisse thakaan mehsoos ho, Tu suraj hai subha ka, tere dedaar ki garaz maut se b jag jaau mai...!