ये जिंदगी यूं ही तन्हाइयों में गुजर जाए,
मजा तो इस तन्हा सफर में भी बहुत है कि!
फिर दूर दूर तक शिकायतें किन्ही से नहीं रहती।-
🙏कृष्णार्पणमस्तु🙏
ए क्या बात है ? आज की चांदनी में ,
तेरी सूरत वही है! तेरी खुशबू वही है।
फिर क्यूं कोई रास लगती नहीं?
तेरी मोहिनी सूरत की लुभावनी उस रागिनी में।
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🙏कन्हैया🙏
मुझे भोग विलाश की चाह भला क्यूं होने लगी?
जब तेरे दरसमयी स्वरूप की कजरा,इन प्यासी नैनन को समर्पित हो।-
तू दे मुझे अपनी दीवानगी के लिए लाख सितम पे सितम मुझपे आधिपत्य सिर्फ तुम्हारा है
तू बना ले मुझे अपने पीछे भागने बाली बाबड़ी राधा
तू युगों युगों से जो मोहन मुरली बाला है
मैं युग युगांतर से तेरे पीछे पीछे दौरूं दीवानी मीरा बनकर
तू युगों युगों से जो सांवरा गोवर्धन धारण करने वाला है
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स्त्री स्वभाव से ही चंचला होती है
उसके चंचल मन से उसके चित की स्थिरता की उम्मीद रखना ही व्यर्थ है-
मुझे हस्र नहीं है तुझसे तेरे चांद जैसे मुखरे को पाने की
बस इस चंचल मन को
तेरे सिंदूरी सौंदर्य की लालिमा को इन कजरारी नैनन से चूमने की लत लगी रहे
इतना ही मेरे लिए काफी नहीं है क्या ?
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मानव जीवन में कुछ भी संयोगवश नहीं होता
होनी जो होती है वो जरूर होता है
बस वक्त समय और उस पल को आने की देरी होती-
काश मुझे भी तेरी मतवाली प्रीत इस तरह मयस्सर हो जाती कि
तेरे सजदे को मैं तेरे पास जो झुकती तो
तुझे मुझमें तेरी मीरा दीवानी का भान होता
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सुकून चाहिए मुझे ऐसी की तेरे सजदे में ही मेरा दिल रमें
रमें तो इतनी रमें की शमा जो जले तो फिर कभी भी ना बुझे
🙏🙏कृष्ण🙏🙏-
जिस हार को स्वीकार करने से चंचल मन व्याकुल होकर भी स्थिरता का बोध कराए
उस हार को जीवन में स्वीकारना हमारी जीत के बराबर है-