कभी खुदपर ऐतबार ना हुआ,
तो कभी खुद का होश ना रहा,
मैँ बिखरी रही और मेरा मन सब संजोने की कोशिश करता रहा!!
जब जाना खुदको, तो हैरानी हुई,
कितनी खामियां रहीं, कितनी हरकते बचकानी हुई,
खैर जोड़ने की कोशिश की, तो अरसा बीत गया,
मैं बिखरी रही और मेरा मन सब संजोने की कोशिश करता रहा!!
आज आईने में देखा खुदको, तो खुदको अपने सबसे करीब पाया,
मन को समझाया, थोड़ा बेहलाया तब जाकर दिल को ये समझ आया,
कि मैं बिखरी रही और मेरा मन सब संजोने की कोशिश करता रहा!!
पर मैं जैसी हूँ, अब खुदको वैसे ही अपनाती हूँ,
अपनी खामियाँ अपने डर बखूबी जानती हूँ,
बहुत कुछ खोकर, शायद मैने खुद को पाया है!
अब जाकर आखिर ये समझ आया है,
कि मेरा मन अपनी बातों को अपनाने से डरता रहा,
मैं बिखरी रही, और मेरा मन सब संजोने की कोशिश करता रहा!!-
क्यों ना रोक कर खुद को एक मशवरा कर लें!
आदतन तो सोचेंगे, "यूँ होता, तो क्या होता"!!-
कभी शाम का सुकून, कभी तपती दोपहरी सी है!
ये जिंदगी कुछ और नहीं, बस धूप छाँव सी है!!
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Kitni dur nikal aye hm..
Rishton ko nibhate nibhate..
Khud ko kho dia..
Apno ko pate pate..
Log kehte hn tum muskurate bhut ho..
Or hum thak gye apna dard chhupate chhupate..-
Sometimes all you need someone to hear you out..
Correct you when you are mistaken..
Trust you when you don't trust yourself..
Help you to settle your fears, your confusions..
Sometimes all you need somebody at your worst..-
अपना हाल तुम यूँ बयाँ करना!
चंद बातें, और हल्की मुस्कुराहट रखना!!
ये उलझे बाल तुम्हारे, खूबसूरत है बहुत!
यूँ जिंदगी की उलझनों में तुम ना उलझना!!
अपनी बातें, अपने किस्से तुम महफूज़ रखना!
सुनो! तुम जैसी हो वैसी ही रहना!!-
महज़ एक गुज़ारिश है तुझसे ज़िंदगी..
मैं सब्र में हूँ, तू बे-सब्र ना होना!!-
"कल"की आस, "कल "पे विश्वास,
"कल" की ग्लानि, "कल" का त्रास..
"कल" की चिंता, "कल" का उल्लास..
"कल" की कल्पना, है हर मनुज के पास..
"कल" फ़रेब है, "कल"कल्पना है..
"कल" है मात्र मोह, "कल" में क्यों ही जीना है??
क्या "कल" तुमने देखा है, या " कल" को तुम दोहरा सकते हो??
क्या थाम हाथ तुम "कल" का, आज बदल सकते हो..
"कल" का मतलब जो बीत गया, "कल "का मतलब जो आयेगा..
"कल" का पहरा इन आँखों पर जब तुम्हारी छायेगा..
"कल" में तुम हो, "कल" में मैं हूँ..
"कल" में आज को गंवाया है..
और अपने "कल" की चिंता में, हमने अपना ही जीवन कठिन बनाया है..
"कल" की बातें कल पर छोड़ो, "कल" किसने देखा है..
जो बीत गया, उसको त्यागो, "कल" किसको मिलता है...!!-