पुरानी बातों में ही रह जाती हैं,
पुरानी यादें,
पुरानी याद में ही रह जाती हैं
पुरानी मुलाकात,
बस आखिरी मुलाकात में ही रह जाती हैं ✍-
औरत के बारे में जो भी सुनते हो ,
ध्यान से सुना करो क्योंकी अफवाहें या तो
ऐसे मर्द की तरफ से आती हैं ,
जो उसे रखने के काबिल नहीं था
या फिर.........
ऐसी औरत की तरफ से जो उसकी.......
...बराबरी नहीं कर पायी..!!😥💯-
जब किसी को शब्दों में बताने के बाद भी ,
आपका दर्द महसूस नहीं होता तो समझ लीजिए,
कि आपने अपने दर्द को गलत जगह और
गलत व्यक्ति के सामने व्यक्त कर दिया है
ऐसी जगह मौन बेहतर है...l💯-
हर बात का जवाब देना ज़रूरी नहीं होता..
खासकर तब जब सामने वाला ,
सुनने के लिए तैयार ही न हो..
कुछ लोग केवल बहस करने के लिए आते हैं..
समझने के लिए नहीं..
ऐसे लोगों से दूरी बनाना आत्म-सम्मान की निशानी है,
कमजोरी नहीं..
हर बार सही साबित होना ज़रूरी नहीं,
कभी-कभी ख़ामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है..l💯-
आधा लिखा और आधा छोड़ दिया
यूँ समझो हाल ऐ दिल बताना छोड़ दिया
जब देखा नेकी को दरिया में बहते
फिर हमने पुण्य कमाना छोड़ दिया
अब किसी बात पे हम उनसे रुठते नही
जब से उसने हमको मनाना छोड़ दिया
जिंदगी जब तक हैं थोड़ी तो कद्र करो
फिर न कहना आना जाना छोड़ दिया
लो फिर वही बात कर दी
तुमने हँसना और हंसाना छोड़ दिया।-
हर बात का जवाब देना ज़रूरी नहीं होता...
खासकर तब जब सामने वाला सुनने के लिए तैयार ही न हो..
कुछ लोग केवल बहस करने के लिए आते हैं...
समझने के लिए नहीं..
ऐसे लोगों से दूरी बनाना आत्म-सम्मान की निशानी है,
कमजोरी नहीं..
हर बार सही साबित होना ज़रूरी नहीं,
कभी-कभी ख़ामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है..l💯-
क्यों???
दो चार पुरुषों की हत्याएं क्या हुई पूरी दुनिया ,
पूरा समाज दहशत में आ गया
सदियां बीत गई जब बड़ी संख्या में ल़डकियों और औरतों के साथ गलत किया गया ,
उन्हें मारा गया , पीटा गया ,
दहेज के लिए जिंदा जलाया गया,
बलात्कार किया गया , बेचा गया,
जन्म लेने से पहले ही कोख में मारा गया ,
अपमानित किया गया,
तब समाज ने किसी पुरुष पर उंगली नहीं उठाई,
जबकि ये कहा गया कि "
" इसकी ही क़िस्मत खराब है " ,
"इसके भाग्य में ये ही था " ,
"हम क्या कर सकते हैं ",
" हर जगह ये ही हो रहा है"
दुनिया ये सब भूल जाती हैं.../
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जो जानता है की दुनिया के सामने मुस्कुराना है
और अन्दर ही अन्दर अपने ग़मों को छुपाना है-
स्त्रियाँ नहीं थकती..., घर के कामकाज से .......,
स्त्रियाँ थकती है बेवजह के तानों से ,
स्त्रियाँ थकती है बेवजह की आलोचना से ,
स्त्रियाँ थकती है बेवजह दूसरों से की गयी तुलना से,
स्त्रियाँ थकती है, बेवजह की उम्मीदों से,
स्त्रियाँ थकती है बार- बार किए गए अपमान से ,
स्त्रियाँ थकती है सर्व गुण संपन्न बनो इस बात से,
स्त्रियाँ थकती है घर की चार दीवारी से,
स्त्रियाँ थकती है सारे कामकाज निपटा कर खुद को संवारने से,
स्त्रियाँ थकती है खुद को समेटने से .... ✍️-
मैंने कभी अपनी तुलना
किसी और से नहीं की,
मेरी परिस्थितियों ने
मेरा हर संघर्ष देखा है
और अब भी मैं जैसी हूँ
मैने स्वयं को वैसे
ही स्वीकारा है ।-