Kr. Nishant  
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Write with Mature ink✍️
Joined 2 February 2019


Write with Mature ink✍️
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28 JUN 2022 AT 9:12

जिंदा हूं मैं अभी
ज़ख्म भी जिंदा रहने चाहिए
क्या चाहते हो...
मौत से पहले मेरे जख्म मर जाएं?
मेरे जख्म भी मेरी तरह शिकस्त खा जाएं

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23 JUN 2022 AT 12:42

निगाहें जहर हो रही है उनकी
देखो तो लोग फिर भी पीने के लिए मरे जा रहे

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22 JUN 2022 AT 13:05

बदल लूं किसी तरह किसी के लिए
ऐसा था तो नहीं कभी मैं
बदलती हर चीजों से अब डर लगता है मुझे
शर्तें तब बढ़ाई उसने
जब वो आदत बन चुकी थी

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11 DEC 2021 AT 14:00

और क्या खूब होती है ना.. 'यादों की ताकत'
जिंदगी एक ही है....
फिर भी यूं ही पूरी उम्र बिता देते
याद करते 'यादों' के साथ में

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1 JAN 2021 AT 13:48

हम तो हर रोज नए साल की तरह मुस्कुराते हैं।
जब हर सुबह वो मेरे आंखों को अपनी होठों से चूम जाते है।

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7 MAY 2020 AT 17:28

यादे पुरानी रहती है
बस तुम्हारा ना होना उसे बरकरार रखता हैं

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7 MAY 2020 AT 15:39

हां देखा है मैंने तुम्हारे आंखों में मेरी मुस्कुराहटों बसर।

हम वाकिफ है तुम्हारे उस अंदाज से भी
जब यूं ही तुम अपनी मुस्कुराहटों की आशियाँ
अपने आंखों से छुपा लिया करती हो।

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29 APR 2020 AT 11:33

साथ हो जब तुम्हारा
थामे तुम्हारे हाथों के साथ
फिर फिक्र कैसी, बेफिक्री सी रहती है जिंदगी।

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2 APR 2020 AT 18:10

जब रिश्ते वक्त की कीमतों में तौली जाए
फिर यह मान कर मना लो खुद को
कि रिश्ते की मंजिल आ गई अब
अब मर्जी आपकी है इसे रखना है या फिर
इंतजार
बिखरने का

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28 MAR 2020 AT 12:48

ये मुस्कुराहटें कितने कहानियां की सार है ना,
कहीं दिलों की जुबान है
तो कहीं ये मुस्कुराहटें ख्वाहिशों की मुस्कान है
है कहीं यह मुस्कुराहट आंसुओं की
तो कहीं खुशियों में दुआओं सी
फिर अल्फाजों की जरूरत कहां मुस्कुराहट हो जहां

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