जिंदा हूं मैं अभी
ज़ख्म भी जिंदा रहने चाहिए
क्या चाहते हो...
मौत से पहले मेरे जख्म मर जाएं?
मेरे जख्म भी मेरी तरह शिकस्त खा जाएं-
निगाहें जहर हो रही है उनकी
देखो तो लोग फिर भी पीने के लिए मरे जा रहे-
बदल लूं किसी तरह किसी के लिए
ऐसा था तो नहीं कभी मैं
बदलती हर चीजों से अब डर लगता है मुझे
शर्तें तब बढ़ाई उसने
जब वो आदत बन चुकी थी-
और क्या खूब होती है ना.. 'यादों की ताकत'
जिंदगी एक ही है....
फिर भी यूं ही पूरी उम्र बिता देते
याद करते 'यादों' के साथ में
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हम तो हर रोज नए साल की तरह मुस्कुराते हैं।
जब हर सुबह वो मेरे आंखों को अपनी होठों से चूम जाते है।-
हां देखा है मैंने तुम्हारे आंखों में मेरी मुस्कुराहटों बसर।
हम वाकिफ है तुम्हारे उस अंदाज से भी
जब यूं ही तुम अपनी मुस्कुराहटों की आशियाँ
अपने आंखों से छुपा लिया करती हो।-
साथ हो जब तुम्हारा
थामे तुम्हारे हाथों के साथ
फिर फिक्र कैसी, बेफिक्री सी रहती है जिंदगी।-
जब रिश्ते वक्त की कीमतों में तौली जाए
फिर यह मान कर मना लो खुद को
कि रिश्ते की मंजिल आ गई अब
अब मर्जी आपकी है इसे रखना है या फिर
इंतजार
बिखरने का-
ये मुस्कुराहटें कितने कहानियां की सार है ना,
कहीं दिलों की जुबान है
तो कहीं ये मुस्कुराहटें ख्वाहिशों की मुस्कान है
है कहीं यह मुस्कुराहट आंसुओं की
तो कहीं खुशियों में दुआओं सी
फिर अल्फाजों की जरूरत कहां मुस्कुराहट हो जहां
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