तूफान-ओ-हवा से चिराग को बचाने में,
हाथ खुद के ही जले हैं इस जमाने में।
― KP Diary-
SWO CLERK at PUNJAB NATIONAL BANK.
आखिर के दो अंकों को शुरू के दो अंकों के बराबर बनने में बीस बरस गुजर गए, 20 वर्षों में उसने कभी हिम्मत नहीं हारी, एक-एक कदम बढ़ता रहा... आज बराबर है... अगले साल उससे आगे भी होगा। क्योंकि रुकना तो उसने सीखा ही नहीं।
#DeepThoughts #HappyNewYear-
हर शख्स समझता है, गुनहगार हूँ मैं,
उस पूरी कहानी का, अधूरा किरदार हूँ मैं!
―KP Diary-
सोचा था मांग लूँगा, इस बार तुमको तुमसे,
मगर जब सामने आता है चेहरा, भूल जाता हूँ।-
रोज बिखरता हूँ, खुद के तिनके बिन रहा हूँ मैं।
लगता है परदेश में आखिरी सांसें गिन रहा हूँ मैं।-
शायद मैं घर जाने की उम्मीद में मर जाऊंगा,
इसी बहाने सही, उस रोज तो घर जाऊंगा।-
तादाद बढ़ रही है, बेवफाओं की,
क्यूँ न एक शहर-ए-बेवफा हो!
न इश्क हो, न वफ़ा हो,
सारा का सारा, शहर बेवफा हो!!-
बिना बात मुस्कुराया करो, वैसे भी खुशियां कम ही हैं,
महसूस करो दो पल की ख़ुशी, बाकि तो सबको गम ही हैं।-