Kousik Ghosh   (The Voice Within)
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An IITian for Life.
A Writer by Choice.
An Engineer by Passion.
An Optimist by Faith.
Joined 19 August 2022


An IITian for Life.
A Writer by Choice.
An Engineer by Passion.
An Optimist by Faith.
Joined 19 August 2022
29 JAN 2024 AT 23:10

मैं कोई समुन्दर तो नहीं 
जो हर बार कुछ लौटा सकूँ 
मैं वो आसमान भी नहीं 
कि सितारों को समां सकूँ 
मैं कोई दरिया भी नहीं 
कि सब अपने साथ बहा सकूँ 
ना हूँ मैं सूर्य सा कोई आग का गोला
कि सिर्फ जलता जाऊँ, कभी राख ना बनु ।

शायद मैं समुन्दर का वो लहर हूँ 
जो कभी बना तो कभी टुटा भी 
शायद आसमान का वो सितारा हूँ 
जो कभी दिखा तो कभी अनदेखा भी
अगर हूँ तो दरिया का वो किनारा हूँ 
जो रुका रहा और वह दरिया बह गया 
और शायद किसी अनकही कहानी की एक पन्ना हूँ 
जो जलकर राख बन गया, पर कोई सुराग नहीं मिल पाया।

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29 JAN 2024 AT 23:08

मैं कोई समुन्दर तो नहीं 
जो हर बार कुछ लौटा सकूँ 
मैं वो आसमान भी नहीं 
कि सितारों को समां सकूँ 
मैं कोई दरिया भी नहीं 
कि सब अपने साथ बहा सकूँ 
ना हूँ मैं सूर्य सा कोई आग का गोला
कि सिर्फ जलता जाऊँ और कभी राख न बनु ।

शायद मैं समुन्दर कि वो लहरें हूँ 
जो कभी बना तो कभी टुटा भी 
शायद आसमान का वो सितारा हूँ 
जो कभी दिखा, कभी अनदेखा भी हुआ 
अगर हूँ तो दरिया का वो किनारा हूँ 
जो रुका रहा और वह दरिया बह गया 
और शायद किसी अनकही कहानी का एक पन्ना हूँ 
जो जलकर राख बन गया, पर कोई सुराग नहीं रहा ।

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30 DEC 2023 AT 15:10

कुछ बीतें दिनों के सपने थे
जो सहर के इंतज़ार में टूट गए
कुछ फिर नए सपने बुने
जो रात से लड़कर भोर से मिलने चल पड़े
कुछ कहानियाँ बनी, जिसका अंत ना हुआ
और ऐसे ही फिर एक साल गुज़र गया।

इस साल भी समय ने इम्तेहान लिया
कभी बिगड़ते हालातों से सामना हुआ
कभी कोहरे से ढके रास्ते मिले
उन हालातों से जितने की यकीन के साथ
और उस कोहरे के छटने की उम्मीद में
फिर एक साल गुज़र गया।

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30 DEC 2023 AT 15:09

फिर एक साल गुज़र गया
कितने लम्हे आकर चले गए
कितने नज़ारे दिखकर मिट गए
कभी यादें बनी, कभी अहसास हुआ
कुछ साथ ले चला, कुछ पीछे छोर आया
और फिर एक साल गुज़र गया।

इस साल भी कई तस्वीरे बनी
कुछ इंद्रधनुषी रंगो से भरे
कुछ बेरंग सी उम्मीद हारे
कुछ मुकम्मल हुए
तो कुछ अधूरे रह गए
और फिर एक साल गुज़र गया।

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20 NOV 2023 AT 21:40

Someday

There would be a time to leave
But not a place to go.

There would be everything to let go
And nothing to hold on.

It would be better to go with the flow
And let fate decide the path.

It would be wiser to fail
With nothing to gain.

There would be many regrets
But not even a single complaint.

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20 SEP 2023 AT 23:19

To the Electrical Engineers

Life doesn't have a three-phase supply to always have the crests.
Life has only a single-phase, before every crest, there comes a trough.
Still it can give the power to drive through.

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10 SEP 2023 AT 23:32

एक रोज़, एक शाम होगा
एक सन्नाटा सा छाया होगा
आसमान में अनगिनत तारे होंगे
दूर से चाँद देख रहा होगा
इस दुनियादारी कि फ़िक़र ना होगी
और साथ बस यह तन्हाई होगी।

एक रोज़, एक दरिया सा बहना होगा
किसी समंदर से मिलना होगा
लहरों सा उचाईयों को छुना होगा
क्षितिज तक जाने कि कोशिशें होगी
ना सीमाएं होंगी, ना कोई रोक होगा
और साथ बस यह आसमान होगा।

एक रोज़, एक दूसरी कहानी भी होगी
जो हर बार की तरह अधूरी ना होगी
जो समय के साथ कहीं खो ना गई होगी
जिसका आगाज़ और अंत लिखा हुआ होगा
उसकी ना शिकायत होगी, ना कोई तारीफ होगी
वो कहानी दुनिया से कोसों दूर ही रह जाएगी।

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17 AUG 2023 AT 22:22

Horizon


To those standing on a sea beach and gazing
Horizon is the end, with the sea and the sky meeting

But someday, if someone goes that far
The horizon for him is still that much far

To what extent to go in search of the horizon
Not to find the beach get hidden in that very horizon

That skyline was never to be reached
It's the limit, not the goal to be achieved.

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14 AUG 2023 AT 0:09

क्या आज़ादी सिर्फ दूसरों के शासन से आज़ाद होना है
या सिर्फ किसी के शिकंजे से मुक्त होने का नाम है।

क्या सिर्फ तानाशाही से मुक्त होने का अर्थ है आज़ादी
या फिर अपने आप को बस आज़ाद मान लेने में है आज़ादी।

आज़ाद उन आदतों से भी होना है जिनका हमें पछतावा है
आज़ादी उस लत से भी चाहिए, जो कर्तव्यों को भी भुला देता है।

उस बेबसी को भी निकाल फेंकना है, जो अपराध पर आवाज़ नहीं उठाने देता
आज़ादी चाहिए बिगड़ते हालातों को नज़रअंदाज़ करने वाली स्वाभाव से भी।

उस आलस के शिकंजे को भी तोड़ना है जो कामचोरी को आदत बना देती है
और आज़ाद उस विचलित मन से भी होना है जो स्थिर रहना भूल चूका है।

अपने खुदगर्ज़ी हे भी मुक्त होना है जो बरकत देखता है तो सिर्फ अपना
आज़ाद उस स्वार्थ से भी चाहिए जो किसी जरूरतमंद की मदद करने से रोकता है।

उस सोच से भी स्वतंत्र होना है जो बेसहाय पर आक्रमण करना भी ठीक समझता है
स्वतंत्रता उस आदत से भी चाहिए जो सिर्फ दूसरों की गलतियां ही निकालना सिखाता है।

हम आज़ाद शायद तब ही होंगे जब अपने अंदर के हर उस ताकत पर भी विजय पा लेंगे
जो कई बार सही रास्ते पर चलने से हमे रोक देता है।

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14 AUG 2023 AT 0:06

Does independence mean only being independent of others
Or being not in anarchy is the only definition that matters.

Does celebrating independence day every year
And remembering the freedom fighters ends our duty

Independence we need from our those habits, for which we regret
And the careless nature, for which our responsibilities we forget

Fight that fear stopping us from raising our voice against a crime
Dethrone the ignorance that makes us tolerate the worst at its prime

Be independent of that laziness which makes us delay every work
We need freedom from that restless mind, which forgot to focus

Defeat the self-centered nature which often kills the humanity
Break the ego that prevents us from standing with someone needy

Douse the mentality that finds nothing wrong in attacking the helpless
Conquer the tendency that only sees the mistakes of others

Independent we will become on that day again
When we win again, but this time against our own inhuman enemies.

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