कुछ आंसू थे, संगदिल रहते थे, सदाएं कहते थे
कुछ जुगनू थे, चिराग़ से रौशनी लेते, किस्से कहते थे।
मैं कब कितने हिस्सों में टूटा, कहां अपना एक कतरा छूटा
कुछ कागज़ थे, मेरी आपबीती कहते, चीखते रहते थे।।-
Sometimes hungry always foolish...
Interests #writing #Photography #sing... read more
रेशम, कस्तूरी
गजरा, सिंदूर
सब..
सजा के लाया था
वो एक " ना " ने
इनका औहदा गिरा दिया।-
हम ही से हम ना मिले .. तो क्या हम मिले
जब खोया खोया सा तुम्हें हम मिले.. तो क्या तुम मिले ।।
-
निर्मोही मन मेरा सोंचता है एक सवाल
क्या छोट जात के सपने भी होते हैं छुआछूत से भरे ?
या उनके सपनों के परिंदे होते हैं बंदिशों के परे!
स्वप्न में भी वो चप्पल सर पे रखते होंगे, बड़-जात के नज़रों से गुजरते
क्या नींद में भी आत्मसम्मान को मार देते हैं, क़िस्मत को कोसते खसोटते ?
सपनों में ही सही, उस घाट में डुबकी लगा आते होंगे
जहां पुश्तें उनकी सपने में भी जाने से कतराते होंगे..
तन का चोट तो ख़ैर! मन का चोट भी इन सपनों को धुंधला करती होगी
नानी गोद में सोए बच्चों को “राजा वाली” कहानी बतलाने से डरती होंगी
और कुछ अलग तो होगा नहीं !
इन बच्चों के सपने भी, उन बच्चों के सपनों सा नायाब होगा
घृणा और पाखंड से दूर उनका ख़्वाब होगा..-
हम पिछला भूल चुके..
पर अब दोबारा भूल न पाएँगे।
हमारे भोलेपन का फ़ायदा उठाने वालों
क़यामत तक तुझे रुलाएँगे।।-
बड़ा ही सौम्य है, अमृत प्रेम मेरा।
और तुम कश्मीरी केसर सी शुद्ध और रंगीन!-
अब दोनों पछताते हैं
जो एक वक़्त ख़र्च हो गया
चंद ख़्वाब कमाने में-
मेरे दिल में भी, सैलाब-ओ-ग़ुबार उठता है।
रह-रह कर ज़हन में ये पुकार उठता है !!
हम नहीं थे क़ाबिल तो नज़रें मिला कर कहते
तुम्हारे यूँ बे-दिली से सवाल उठता है !!-
यूँ .., आदत नहीं थीं हमें
किसी की आदत होने की …
उन्होंने “हाँ “ कर के
हमारी आदतें बिगाड़ दी..।-