🌺🌺सरस्वती वंदना 🌺🌺
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आईये! मेरी प्रोफाइल पर आप का सहर्ष स्वागत है। मैं प्रोफेशनल लेखिका न... read more
सूख गये हैं,सुमन सुमन।
उजड़ गया है,यह उपवन।।
बरसो मेघा, हृदय विह्वल।
दुख के सागर, खिलें कँवल।।
निर्झर धारा, नीर नयन।
कैसे बुझाए, हृदय अगन।।
कटे उदासी, भरा पहर।
सूनी रातें, दुखी सहर।।
दसों दिशाएँ,तमस सघन।
प्रदीप्त करो, दीप आँगन।।
शुष्क हुआ है, व्याकुल तन।
कहीं लगे ना, आतुर मन।।
करें उपहास, यही जगत।
कुविचार के,भाव स्वगत।।
रुकें ना आँसू, करुँ जतन।
कब तक व्यथा, करुँ सहन।।-
शिद्दत से मुझमें वो अब ऐसा क्या देखते हैं।
संग-ए-तराश है सनम को तोड़ कर देखते हैं।
राब्ता तो ख़ुद रखतें हैं वह हाल-ए-बरबाद से
मुझ मिस्कीन के दामन के सुराख़ भी देखते हैं।
हर शाम तो यूँही गुज़र जाती है नाउम्मीदी में
चलो आज की शाम भी गुज़ार कर देखतें है।
इस क़दर हालात-ए-नाकाम पर रोना आया
चलो फिर दुनिया से भी किनारा कर देखते है।
हवायें भी कर रही है यूँ गुस्ताखियाँ अब तो
सोचा ऊम्मीद का एक चराग़ जला कर देखते है-
नही पहुँचती मेरी सदा-ए-नातवाँ
उसकी अना की दीवार के पार
बेसाख़्ता ख़ुश्क आँखे करती है
एक संगदिल का इंतज़ार...
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भ्रम था तुम्हारे देवता होने का निकले तुम मूर्ति
ना था हृदय में स्पंदन ना थी नैनों में जागर्ति
भाव स्वप्नमय हो गये नियति से जब हार गई
समेट लिये हैं आँचल में पीड़ा के उपहार कई
पुरुषार्थ तो चार है ना धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष?
आज फिर कैसा द्वंद छिड़ा है तुम्हारे समक्ष?
रात की पलकों में जागते है मेरे स्वप्न सभी
तुम आओगे या नहीं असमंजस में है प्रलोभी! मुझे जलना होगा अनवरत अब मैं अभ्यस्त हूँ
मैं विरह राग की कोई कविता सी कंठस्थ हूँ!
जितना प्रेम प्राप्त हुआ उतना तो भरपूर है
अब मैं विरक्त हूँ क्यूँ कि जीवन क्षणभंगुर हैं!
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ज़िन्दगी मौजों की रवानी है।
घिर जाती है तलातुम में अक़्सर
डूब जाती है कश्ती, ठहरा पानी है।-
लम्हों की पंखुड़ियाँ कहती हैं
सिर्फ़ बिखरने की दास्ताँ हूँ मैं!
जब तक यादों में धडकती रहूँ
मानों पुरख़्वाब गुलिस्ताँ हूँ मैं!!-
इश्क़, शिकस्ता ख़्वाहिशों का सफ़र है
मैं ना ग़ज़ल में हूँ ना तुम्हारी रूदाद में!
आप कहाँ-कहाँ किजियेगा जुस्तजू मेरी
मैं अज़ल में हूँ और यह रूह अबद में!!
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घिर आये काले घन
गिरी बूंदें छन छन
पुलकित हुआ मन
पावस दुलार से...
सुन केका मयूर का
टर टर दादुर का
चातक की पिहू पिहू
वन के भीतर से..
अनूठा है ये अचंभा
इंद्रधनुषी प्रत्यंचा
चढाई है अवनि ने
रंगो की टंकार से ...
सावन के पड़े झूले
परिणीता बोले हौले
झूलाओ ना पिया मोहे
भुजाओं में प्यार से...
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