komal sawalakhe   (Komal sawalakhe)
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Joined 10 March 2017


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8 AUG AT 21:04

मैंने इस पल का इस खुशी का
जितना इंतेजार किया उतनी ही
ये खुशिया मुझसे दूर गई थी
अब देखो जब कोई उम्मीद नही
तो चौखट पर खुशियाँ आई है यही

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8 AUG AT 21:01

हर रात एक ख्वाब आँखों मे बसाये
मैं सो जाती हूँ
बस ये सोचकर किसी दिन वो ख्वाब
हक़ीक़त बन मेरी आँखों के सामने हो

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5 AUG AT 14:01

कुछ पाने कि आस में
न जाने कितने दिन और लम्हे
इंजेतार में बिताए जा रहे हैं
अब आप ही देखिये भगवान
कैसे ज़िन्दगी हम जिये जा रहे हैं

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3 AUG AT 13:56

वक्त बीतता गया
दोस्ती का मतलब बदलता गया
बीतते वक्त के साथ बस एक ज्ञात हुआ
कि एक बेटी की सच्ची दोस्त सिर्फ उसकी माँ होती है
जो ना कभी अकेला महसूस होने देती हैं
और
हर ज़िन्दगी के हर पड़ाव पर बस साथ देती हैं

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3 AUG AT 13:43

उससे होने वाली एक गुफ़्तुगू
के लिए
मैं मानो बरसो का इन्तेजार करती हूं
जब वो घडी अये
तो हर बीते पन्ने को याद कर अपने दिल मे सवारती हु

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2 AUG AT 15:41

वो भगीरथी सा शीतल
मैं अलखनंदा सी चंचल
उसकी चाह बस गंगा बन शांति से बहने की
मेरी उभलती खड़खड़ाती नदियों में मिलकर संगम बनने कि
वो बस बहना चाहता हैं,
कुछ नही कहना चाहता है
मैं बेखौफ दौड़कर मस्ती में झूमना चाहती हूँ
लहरो से उसके मिल मैं दुनिया घुमना चाहती हूं

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2 AUG AT 9:03

बस एक ही तो ख्वाइश है
ए खुदा
हमने कौनसा जहाँ मांग लिया है

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31 JUL AT 22:40

वैसे उसके होने से
बहोत खूबसूरत चीज़े ज़िन्दगी में हुई है
अब देखो न बरसो बाद
फिर एक बार मेरे लिखने कि शुरवात हुई है

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31 JUL AT 22:27

उसने बडी मासुमियत से कहाँ
के उसे
सितारों से जुड़ी हर चीज़ प्यारी लगती हैं

मेरा नाम सितारा
ये बात जाने क्यों उसे ना सच हमारी लगती है

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21 FEB 2024 AT 15:56

सच ही है
सोचना आसान
और पन्नो पर उतारना मुश्किल
मगर
ठान लियाजाए तो
लफ़्ज़ों को पन्नो पर उतारकर
हर मुश्किल आसान हो जाती है

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