वो कहती है बदल गया हूं मैं
कहीं अटक गया हूं किसी जाल में
कुछ भूल गया हूं उसकी कही,कुछ मानने को तैयार नहीं मैं!!
मैंने कहा प्रिय,
अरे, बदला नहीं हूं मैं
अब कुछ संभला सा हूं
कही अटका नही मैं, कहीं से निकला हूं
और भूलने की बात ना करो मुझसे ,
मुझे याद है तू भी और तेरी बातें भी
अब हीं तो बहुत कुछ जाना हूं मैं
बदला नहीं मैं ,अब कुछ संभला सा हूं !
तेरे किए हर वादे याद है
तेरी बातें अब भी मेरे साथ है
हां मुझे अब उसपे यकीन नहीं
अरे बदला नहीं मैं, अब कुछ संभला सा हूं!!
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