कुछ पल तुम्हारे साथ...
जो बीते थे तुम्हारे साथ,
आज भी है मुझे याद!!
वो हमारी आखिरी मुलाकात...
और तुम्हारा फिर चले जाना सरहद के उस पार,
जब आई खबर तुम्हारे शहीद होने की....
मैं टूट गई कुछ इस तरहा जैसे कांच की गुड़िया हूं खिलौने की !!
कुछ पल तुम्हारे साथ मुझे आज भी है याद,
कभी कंधे पर सर रखकर बैठा करती थी तुम्हारे साथ...
आज न जाने कितने लोग ला रहे है तुम्हे अपने कंधों पर रखकर मेरे द्वार !!
कभी खनकती थी चूड़ियां तुम्हारे नाम की...
आज वही कलाई वीरान है तुम्हारे जाने के बाद,
वो आखिरी मुलाकात जब तुमने कहा था मैं फिर आऊंगा मेरी जान....
तुम आए तो मगर देकर इस वतन को अपनी जान!!
वो आखिरी मुलाकात जब देखा था तुमको मैंने आखिरी बार,
भर आई थी मेरी आँखे तुम्हे जाते देख सरहद के पार,
और तुम्हारा मुझे यू अलविदा कह देना आसूँ भरी मुस्कान के साथ!!
बहुत याद आते है वो बीते पल तुम्हारे साथ...
कभी तो आओगे लौट कर करती हूं मैं द्वार पर खड़े आज भी तुम्हारा इंतजार !!
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