Komal Agarwal   (Zara lone)
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Tired, but I have dreams!
Joined 8 June 2018


Tired, but I have dreams!
Joined 8 June 2018
12 OCT 2023 AT 15:18

Akelepan ka ek Sailaab sa aata hai,
Dil ye mere Kabhi ghabra bhi jata hai.
Fir pedon se girte hue Patton ki traf dekhti hu,
Kya yahi Muktab tha unhe had dafa ye sochti hu
Sochti hu ke ye samandar tham kyu nhi jata?
Jo dil me a dar hai wo kabhi baahar kyu nhi aata?
Fir sambhalti hu Khud me hi,
Wapas shor nahi Karti.
Wo baatein sirf tumhari hai ,
Main kisi aur se nhi karti
Wo lehza sirf tumhaare nam ka tha,
Kisi aur ke aane par ye nhi aata.
Koi tere alawa ab mujhko yaha,
pasand bhi toh nhi aata!
Nhi aati hai Baarishein ab u hi bewajah,
Koi samandar sa mere Andar ab sailaab bhi nahi Lata,
Tum gaye toh saari Kashish le gayi,
Ab kisi mehfil me wo Rangeen Sama nhi aata!

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17 NOV 2022 AT 7:21

फ़िर उन्ही गलियों से गुज़रे है आज हम,
मंजिलें कह रही है, बड़ा धीरे चले है हम।

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17 NOV 2022 AT 7:14

ये वक्त गुज़ार गया तूफ़ानों की तरह ,
वो मेरी जिंदगी की हर कशिश ले गई।
अब दिल नहीं लगता किसी मयखाने में,
वो गई तो अपने साथ महफ़िल ले गई।

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17 NOV 2022 AT 7:12

वो समंदर था, में लहर थी उसमे कोई।
वो चांद था, मैं सितारों का सेहर कोई।
इन नकाबों की बस्ती में, हुए दिल तर बदर,
ढूंढा सारा शहर, मिला ना हमसफर कोइ।

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17 NOV 2022 AT 7:09

Tum fakat is bheed ka hissa hi to ho,
Hai jisse gila sabhi ko, wo kisso hi to ho!

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17 NOV 2022 AT 7:08

बात कोई खास है, जो तुम छुपा रहे हो,
पर आंखों से सब बया किए जा रहे हो।

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17 NOV 2022 AT 7:07

मेरे गर्दिश में यू तो सितारों की कमी नहीं,
बस एक चांद की रुसवाई रास नहीं आती।
और लाखो है दीवाने, मेरे हुस्न के जनाब,
पर रूह से मोहब्बत यहां किसी को रास नहीं आती।

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23 OCT 2021 AT 8:57

मैं रिमझिम बरसती बारिश सी हूं,
मैं कोइ अधूरी ख्वाइश सी हूं।
ना जाने कबसे हूं दबी पड़ी,।
मैं उस आखिरी खत की स्याही से हूं।

मैं शाम हूं, संगीत हूं।
हर लबो पे हो, वो गीत हूं।
मै हू उन हवाओं मे घूम कहीं,
मैं नफरत के आइने में प्रीत सी हू।

मैं आंखों में तेरे काजल सी हू।
मैं तेरे खनकते पायल सी हू।
मैं हूं तेरे रातों में तारो सी,
मैं तेरी कहानी में कामिल सी हू।

मैं तेरे समंदर के लहरों सी हू,
मै गिरते संभालते शहरों सी हू।
जो छू के गुज़रे ना तुझको कभी,
मैं भीड़ में, कुछ उन चेहरों सी हूं।

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19 JAN 2022 AT 17:56

यू ही बंजर राहों पे चलते चलते,
दिल समंदर में तब्दील हो गया।
वो हाथ तेरा है, थामा जबसे,
दोज़क भी अब हसीन हो गया।

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17 JAN 2022 AT 19:42

Sometimes it is not the journey that ends.
But our desire who fades away!

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