हर प्रकार से नादान थे हम,
गीली मिट्टी के समान थे हम,
गढ़ कर तुमने,
निराकार से साकार बनाया।।
दिया ऐसा उपवन के अब पुष्पित कर दिया,
इस संसार हमें रूबरू करवाया,
किसी आवरण में छिपा हमारा अस्तित्व दिखाया।।
उस गुरु का सादर चरण वंदन,,
ऐसे गुरु को सदा ही नमन।।-
गुलाबी नगरी के गुलाब हैं हम,,
हिंदी में लिखना पसंद है मुझे।।
लिखती ह... read more
मदमस्त हवा के झोंको की तरह,,
पिंजरो से दूर,,
बंदिशों से परे,
सोच के घोड़ों पे हो सवार,,
परवाज साथ लिए होते हैं,,
ये शब्द आजाद होते हैं।।।।-
हर तरह की दुविधा भी बीत जाएगी इस पल,,।।
मानव तेरे इस बुद्धि "बल" से सारी विपदाए भी जाएगी"टल"।।
राह मुश्किलों से भरी है थोड़ी,,
राह आसान होती जाएगी ,बस तू चल, तू चल।।
"थल" ,"जल" और वायु में भी,,
"सफलता" शोर मचाएगी.....
"कल",आज,"कल" और "कल"।।-
एक शायरा के कलाम में पाया तुमको,,
कल खिड़की पे पर्दा नहीं रहा होगा शायद...!!-
जमीन पे गिरी चीज तो उठा भी लें.....
फकत,,
नजरों से गिरा शक्स तो मिलता भी नहीं कहीं....।।-
कहीं तेरी छुअन का एक अहसास बाकी है,,
सर्दियों में मिली तेरे हाथों की गर्माहट,,
तेरे लफ्जो की वो शक्कर सी "मिठास",,
तेरे गुस्से की तिखास,,
तेरे लौटने की आस,,
मेरे दिल के किसी कोने में,
थोड़ी ही सही, लेकिन बाकी है।।-
तेरी यादों की इस कैद में रहना,
ये बता जरा,,
मोहब्बत की बात तो छोड़,,
तुझसे तो दोस्ती के रिवाज भी न निभाए गए....-
खुदा बना लिया है मैने मोहब्बत में तुम्हे अपना,,
क्या फरक पड़ता है के इश्क करूं या इबादत.....-
हश्र की जो परवाह करे वो आशिक कैसा...??
और......
आसानी से हासिल हो जाए वो इश्क कैसा...??-