सात जन्म तक याद रहेंगे...
वो सात किलोमीटर...
जो हम साथ चले !!-
बैठे बैठे दूनिया कि सैर कराती है किताबें !
खुली आंखों से भी सपने दिखलाती है किताबें !
ये दूरियां, मजबूरिया , मनमर्जिया , खुदगर्जिया
है ये आलम कैसा
के तेरे सिवा बस दिल को भाती है किताबें !-
रब्ब जैसे बच्चों की जिंदगी खा के
फिर मंदिर मस्जिद जा के
कबूल कोई दुआ भी हो सकती है !
एक से एक घटिया लोग है जमाने में
मगर मैं हैरान हु कि
इतनी घटिया एक माँ भी हो सकती है !-
तू अज भी जरूरी है , तू कल भी जरूरी सी !
तेरी मर्जी सुनके दुख होया,
पहला लगदा सी के मजबूरी सी !
तेरे करके दिला दी हो गई , पहला साढ़े चे सिर्फ
मीला दी दूरी सी !-
याद करो जरा वेद, ग्रंथ, रामायण और
क्या सिखाया था कुरान ने...
मोम्बतिया सारी अब बुझा दो साथियों..
चीर हरण पर दुश्मन की लंका को जलाया था हनुमान ने...-
हया से महंगा और वफा से अच्छा
कोई कर्म नही होता ।
इंसान के जमीर से ऊंचा
कोई धर्म नही होता ।
जी भर गया था तुम्हारा जहा कही ,
काश के तुम वही ,
बिछड़ गए होते यार...
बेवफाई का तो कोई मरहम भी नही होता ।
-
पाखंडवाद और गदारी
सत्ता और शक्ति की...
डर और लालच
अज्ञानता की प्रथम सीढ़ी है !-
पाखंडवाद और गदार
सत्ता और शक्ति की...
डर और लालच
अज्ञानता की प्रथम सीढ़ी है !-