बहुत दूर तक हाथ पकड़ कर साथ चलने के बाद
एक दिन उसने हाथ छुड़ाते हुए कहा
"साॅरी! मेरे से नइ(नहीं) हो पाएगा"
मैं हतप्रभ सा देखता रहा उसे
फिर बोला
क्या मतलब तुमसे नहीं हो पाएगा?
वो तुम ही तो थी ना
जिसने हाथ थामा था मेरा जेठ की झुलसती लू में
और एकदम से उसे असाढ़ कर दिया था
उसने कहा "हां लेकिन..."
मैंने उसकी आंखों में देखा वहां कुछ लिखा था
बड़ी मुश्किल से डबडबाई आंखों से उसकी शुष्क आंखे पढ़ने के बाद मैंने कहा
ओह ! मैं समझ गया...सबकुछ समझ गया
उसके बाद वो लौट गयी और मैं...मैं ?
मैं अपना एक हाथ दूसरे हाथ से छुड़ाते हुए पागल की तरह बड़बड़ाता रहा
"साॅरी! मेरे से नइ(नहीं) हो पाएगा"
"साॅरी! मेरे से नइ(नहीं) हो पाएगा"
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लोग कहते है
नई आदत बनाने के लिए
किसी शख्स को भुलाने के लिए
इक्कीस दिन काफी होते है
मूव ऑन कर जाने के लिए
इक्कीस दिन, इक्कीस हफ्ते, इक्कीस महीने
कुल बारह इक्कीस महीने बीत गए
मगर इक्कीस सेकंड्स के लिए भुला नहीं पाया मैं
एक शख्स को
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तेरे नाम का पासवर्ड अब तक बदला ही नहीं
मेरी आंखों में अब तलक तेरा ही इंतजार है
मुझको चाहना, ना चाहना तेरी मर्जी है जाना
मुझे आज भी तुझसे ही प्यार है बेशुमार है
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तूने मुझको ठुकराया तेरी किस्मत खराब है
जमाने से पूछ तिलस्मानी कितना लाजवाब है
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रात सबके हिस्से में आती है
मगर चांद सबके हिस्से में नहीं आता
सभी रातों की सुबह भी नहीं होती
उनके हिस्से ना सूरज आता है ना धूप ना रोशनी
जरूरी नहीं हर कहानी का अंत प्रकाश में हो
मगर दुनिया में उम्मीद बची रहे
इसलिए ये बात किसी से कहना मत
तुम पढ़ना, गुनना और चुपचाप रद्दी में फेंक देना मेरी कविताओं को
जैसे सरकारी दफ्तरों में दरख्वास्त गरीबों की फेंक दी जाती है
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मेरे हिस्से में तुम नहीं आई
इससे यूं हुआ कि ...
मेरे हिस्से में आए सावन सूखे रह गए
बसंत में फूल खिलना बंद हो गए
सारे मौसम फिर जेठ और पतझड़ हो गए
मेरे हिस्से में तुम नहीं आई
इससे यूं हुआ कि ...
सूरज मुझे ठंडा और चांद गर्म लगने लगा
एक तुम्हारे ना आने से तुम्हें पता है...
मेरी दुनिया कितनी उलट पलट गयी
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उसकी हर एक तस्वीर सहेज कर रखी है
जैसे सरकार ने गोपनीय दस्तावेज रखी है
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सबकुछ मिला कर भी एक कमी को भर ना पाया
वक्त अगर मरहम है क्यों मैं तुझसे उबर ना पाया
- कमल यशवंत सिन्हा
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हर शाम दफ्तर से घर लौटते हुए
मन हताशा से भर जाता है
एक गहरा अवसाद और गहरा पैठते जाता है
मन के भीतर और भीतर
घर लौटते हुए सोचता हूं
वो घर कहां है जहां मुझे लौटना है ?-
वो जब दूर था तो कितने करीब था मेरे
वो नज़दीक आया तो बहुत दूर हो गया-