फ़िर हम यूँ दर-ब-दर हो गये
अपने ही शहर में बेघर हो गये
खुद को तलाशता रहा तिरे बाद मैं
जो तुझसे बिछड़ा सबसे बेख़बर हो गये
तिरे साथ मिरे भीतर इक गांव बसता था
तिरे बगैर हम पूरे शहर हो गये
तिजोरियों में संभाल कर रखा जाये वो राज थे हम
अब तो हम हर सुबह की ताज़ा ख़बर हो गये
हम जो जान थे उनकी आज कुछ भी नहीं
जो आँखों को चुभते थे हमसफर हो गये
बड़ी पूछ परख थी अपनी भी ज़माने में
इश्क़ में मगर हम कितने बे-कदर हो गये
अब तो मौत को दौड़ के गले लगा लेंगे हम
ज़िंदगी से ख़फ़ा हम बड़े बेसबर हो गये
वो 'तिलसमानी' था जो जादू जानता था
तिरे आंखों के आगे सारे बेअसर हो गये
© कमल यशवंत सिन्हा 'तिलसमानी'
-